इन दिनों पूरा देश सफाई में जुटा है। सरकार का स्वच्छ भारत मिशन पूरे जोर—शोर से चल रहा है। हर कोई सफाई में पूरी शिद्दत से जुटा है। स्कूलों में सफाई हो रही है, सड़कें साफ हो रही हैं और सफाई में भी सफाई हो रही है। कचरा लाया जा रहा है, फैलाया जा रहा है और फिर सफाई हो रही है। सफाई की महिमा इतनी है कि मेहुल चौकसी, नीरव मोदी और नितिन संदेसरा ने भी इसे अपना लिया। बैंकों की सफाई इतनी की कि अंतिम चरण में सफाई करते—करते विदेश भाग गए।
अब इससे बड़ी सफाई क्या हो सकती है। अब भारत की सफाई जर्मनी तक पहुंच गई और वहां एक चोर ने 7 लाख के अंगूर साफ कर दिए लिए। वह भी शायद भारत के स्वच्छता अभियान से प्रेरित था। अब अंगूर हवा से नीचे गिरकर गंदगी फैला रहे होंगे, तो उसने सोचा सफाई कर लूं और पूरे 1600 किलो अंगूर साफ कर दिए। अब है ना स्वच्छता अभियान सफल।
वैसे ही लोग कोस रहे हैं कि सफाई को लेकर मोदी जी कुछ ज्यादा ही हल्ला कर रहे हैं, अरे भई सफाई न होगी, तो बीमारियां फैलेंगी। बीमारी फैलेगी, तो दवाई का खर्चा, तो फिर सफाई कर ली जाए। अब भले ही यह ऐसे साफ हो कि साफ करने वाला ही साफ हो जाए।
सफाई ऐसे हो रही है कि बैंक साफ हो रहे हैं, स्कूली शिक्षक झाड़ू लगा रहे हैं, तो पढ़ाई साफ हो रही है। बच्चे स्कूलों में सफाई कर रहे हैं, तो देश का भविष्य साफ हो रहा है। आॅफिस साफ हो रहे हैं, कर्मचारी सफाई में ऐसे जुटे कि आॅफिस के लैपटॉप, कंप्यूटर भी साफ कर दिए। अब सफाई तो होनी ही चाहिए। भई सफाई का अपना मान है और इसकी महिमा अपरंपार है, तो फिर हम चले सफाई करने और आपका क्या ख्याल है?
तीखे बोल