ज्ञानवापी में 'भगवान विश्वेश्वर' प्रकट हुए हैं, उनका स्नान, शृंगार हमारा कर्तव्य.., 4 जून को शिवलिंग पूजा का ऐलान

ज्ञानवापी में 'भगवान विश्वेश्वर' प्रकट हुए हैं, उनका स्नान, शृंगार हमारा कर्तव्य.., 4 जून को शिवलिंग पूजा का ऐलान
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वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी परिसर के भीतर शिवलिंग मिलने के बाद अब संत समाज ने काशी में ज्ञानवापी के शिवलिंग की पूजा करने की घोषणा कर दी है। ये घोषणा केदार घाट स्थित विद्या मठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गुरुवार (2 जून 2022) को की है। बता दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं। उनका कहना है कि उनके गुरू ने उन्हें ज्ञानवापी जाकर शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने का आदेश दिया है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अभी मध्य प्रदेश में हैं और गुरु के आदेश पर वो काशी आए हैं। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में पाए गए शिवलिंग पर जारी विवाद को लेकर कहा है कि, 'कुछ लोग कह रहे हैं कि परिसर में मिले स्वरूप को शिवलिंग होने का अभी फैसला नहीं हुआ है, मगर हमारा मानना है कि इस बात का भी तो फैसला नहीं हुआ है कि ये शिवलिंग नहीं है।'

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि एक पक्ष इसे शिवलिंग बता रहा है और दूसरा पक्ष फव्वारा कह रहा है। इसका मतलब ये है कि दोनों पक्ष एक ही बात कह रहा है। शिव ही एक मात्र देवता है, जिन्होंने अपने शीश पर गंगा को धारण किया है। जो शिव और उनकी कथाओं या उनके महत्व के बारे में नहीं जानता, वो शिवलिंग को फव्वारा ही कहेगा। उन्होंने कहा है कि ज्ञानवापी में स्वयं विश्वेश्वर भगवान प्रकट हुए हैं और अब उनका स्नान, श्रृंगार, पूजा और राग-भोग अत्यंत आवश्यक है। जो भगवान की प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमा है, वो तीन वर्ष के बच्चे की तरह होती है। जिस तरह 3 वर्ष के बालक को बगैर स्नान-भोजन आदि के अकेले नहीं छोड़ा जा सकता, उसी तरह ये भी हैं।

उन्होंने आगे कहा कि, 'अब जब भगवान प्रकट हुए हैं, तो हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी सेवा करें, वरना हम पाप के भागी होंगे।' वहीं, 4 जून को पूजा को लेकर संत ने कहा कि हमारे शास्त्रों में ‘स्थाप्यं समाप्यं शनि-भौमवारे’ कहकर शनिवार को सबसे ज्यादा शुभ दिन माना गया है।

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