स्वामी प्रभवानंद का जन्म 4 जुलाई, 1893 को हुआ था. वह एक भारतीय दार्शनिक, रामकृष्ण आदेश के भिक्षु और धार्मिक गुरु थे. वह 1923 में अमेरिका चले गए, 1930 में दक्षिणी कैलिफोर्निया के वेदांता सोसाइटी की स्थापना की और अपना शेष जीवन वहीं बिताया.वे 1914 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद रामकृष्ण आदेश में शामिल हुए. आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर उनके जीवन के महत्वपूर्ण लम्हों पर रोशनी डालने वाले है.
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उन्हें 1923 में संयुक्त राज्य अमेरिका में भेजा गया था. प्रारंभ में उन्होंने सैन फ्रांसिस्को के वेदांत सोसायटी के सहायक मंत्री के रूप में काम किया. दो साल के बाद, उन्होंने पोर्टलैंड की वेदांत सोसायटी की स्थापना की. दिसंबर 1929 में, वह लॉस एंजिल्स चले गए जहां उन्होंने 1930 में दक्षिणी कैलिफोर्निया के वेदांत सोसायटी की स्थापना की.प्रभवानंद एक विद्वान थे जिन्होंने वेदांत और भारतीय धार्मिक ग्रंथों और टीकाओं पर कई किताबें लिखी थीं. उन्हें क्रिस्टोफर इशरवुड या फ्रेडरिक मैनचेस्टर द्वारा कई परियोजनाओं में सहायता प्रदान की थी. उनके दर्शन और धर्म के व्यापक ज्ञान ने एल्डस हक्सले और गेराल्ड हर्ड जैसे शिष्यों को आकर्षित किया.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि प्रभावनंद की पुस्तक द स्पिरिचुअल हेरिटेज ऑफ इंडिया की अकादमिक पत्रिका फिलॉसफी में समीक्षा की गई. समीक्षा में कहा गया है कि "स्वामी प्रभवानंद ने भारत की आध्यात्मिक विरासत पर एक आकर्षक और आधिकारिक पुस्तक लिखी है. प्रभवानंद की मृत्यु 4 जुलाई, 1976 को अमेरिका की स्वतंत्रता के द्विवार्षिक में हुई.
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