लखनऊ: श्रीरामचरितमानस पर विवादित बयान देने के बाद समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य विरोध का सामना कर रहे हैं। इस बीच उन्होंने बागेश्वर धाम की पीठाधीश्वर के खिलाफ टिप्पणी कर दी। उन्होंने कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री को मंदबुद्धि बता दिया। उन्होंने कहा कि वह दिमाग से दिवालिया हैं। इससे पहले उन्होंने रामचिरतमानस पर की गई अपनी टिप्पणी पर बोला कि कोई आपत्तिजनक बात नहीं कही है। मैं अपनी बात पर कायम हूं और आगे भी कायम रहूंगा। उन्होंने कहा कि संत महंतों को धर्म आचार्यों को, बड़े-बड़े पुजारी पंडों को यदि गाली नहीं अच्छी लगती है, तो हम को कैसे गाली अच्छी लगेगी। वहीं उन्होंने बोला कि अखिलेश यादव मुझसे नाराज नहीं हैं। यदि वह मुझे नाराज होते तो मुझसे कुछ बोलते।
वही इससे पहले पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि विशेष जाति के लोग ही उनका विरोध कर रहे हैं। पंडे, पुजारियों को इस बात का डर सता रहा है कि यदि मेरे कहने पर दलित एवं पिछड़े एक हो गए तो लोग मंदिर आना बंद कर देंगे, जिससे चढ़ावा और पेट पूजा बंद हो जाएगी। उनका धंधा ठप हो जाएगा। सपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी प्रसन्नता के लिए लिखा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही प्रतिबंध कर देना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है। क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। तुलसीदास की रामायण की चौपाई है। इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। पुलिस के अनुसार, स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 ए, 298, 504 और 153 के तहत दर्ज किया गया है।
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