लखनऊ: यूपी में रामचरितमानस पर छिड़े विवाद के बीच सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को हटाने की मांग की है। स्वामी प्रसाद ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजी गई चिट्ठी में लिखा है कि भारत का संविधान धर्म की स्वतंत्रता एवं उसके प्रचार प्रसार की इजाजत देता है। धर्म मानव कल्याण के लिए है। भगवान के नाम पर झूठ, पाखंड और अंधविश्वास फैलाना धर्म नहीं हो सकता।
उन्होंने लिखा कि क्या कोई धर्म अपने अनुयायियों को अपमानित कर सकता है। क्या धर्म बैर करना सिखाता है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं, मगर धर्म के नाम पर फैलाई जा रही घृणा एवं वर्णवादी मानसिकता का विरोध करता हूं। इसलिए हमारी मांग है कि पाखंड और अंधविश्वास फैलाने वाले एवं हिंसा प्रेरित प्रवचन करने वाले कथावाचकों के सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया जाए तथा उन पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए। स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा कि इस विरोधाभासी जीवन को हम कब तक जीते रहेंगे? कब तक हम अपने सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में समानता को नकारते रहेंगे? अगर हम इसे नकारना जारी रखते हैं तो हम सिर्फ अपने राजनीतिक प्रजातंत्र को संकट में डाल रहे होंगे। हमें जितनी जल्दी हो सके, इस विरोधाभास को ख़त्म करना होगा, अन्यथा जो लोग इस असमानता से पीड़ित हैं, वे उस राजनीतिक प्रजातंत्र को उखाड़ फेंकेंगे, जिसे इस सभा ने इतने परिश्रम से खड़ा किया है।
वही स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे लिखा कि बाबा साहब ने अपने भाषण में यह भी बोला था कि इस देश में राजनीतिक सत्ता पर कुछ लोगों का एकाधिकार रहा है तथा बहुजन न सिर्फ बोझ उठाने वाले, बल्कि शिकार किए जाने वाले जानवरों के समान हैं। इस एकाधिकार ने न सिर्फ उनसे विकास के मौके छीन लिए हैं, बल्कि उन्हें जीवन के किसी भी अर्थ या रस से वंचित कर दिया है।
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