नई दिल्ली: 128 वर्ष पूर्व स्वामी विवेकानंद द्वारा अमेरिका में दिए गए ऐतिहासिक भाषण में उनके शिष्यों का बहुत बड़ा हाथ है. स्वामी विवेकानंद के 11 सितंबर 1883 को शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण के 128 वर्ष बीत हो चुके हैं। 12 जनवरी 1863 को जन्मे स्वामी विवेकानंद के जीवन का ये ऐतिहासिक भाषण साबित हुआ.
128 वर्ष पूर्व जब स्वामी विवेकानन्द ने अपने भाषण की शुरुआत 'मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनो' से की थी, तो सभागार में कई मिनटों तक तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रहीं। ऐसा बताया जाता है कि दक्षिण गुजरात के काठियावाड़ के लोगों ने सबसे पहले स्वामी विवेकानंद को विश्व धर्म सम्मेलन में हिस्सा लेने का सुझाव दिया था. फिर चेन्नई के उनके शिष्यों ने भी स्वामी जी से यही निवेदन किया. खुद विवेकानंद ने लिखा था कि तमिलनाडु के राजा भास्कर सेतुपति ने पहली दफा उन्हें यह सुझाव दिया था. जिसके बाद स्वामीजी कन्याकुमारी पहुंचे थे.
आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वामी जी तैरकर समुद्र में स्थित उस चट्टान तक पहुंचे थे, जिसे आज विवेकानंद रॉक कहा जाता है. वहां उन्होंने तीन दिन तक भारत के भूतकाल और भविष्य पर ध्यान लगाया. जब स्वामी जी चैन्नई लौटे तब उनके शिष्यों ने उनकी शिकागो जाने के सारे इंतज़ाम कर लिए थे. जिसके लिए सभी शिष्यों ने मिलकर अपने गुरु के लिए धन जुटा लिया था. किन्तु स्वामी जी ने कहा कि जुटाया गया सारा धन गरीबों में बांट दिया जाए.
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