भारतीय युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी की आज पुण्य तिथि है। 4 जुलाई 1902 को उनका बेलूर में निधन हो गया था। देश के युवाओं में अपने ओजस्वी विचारों से हमेशा जोश भरने वाले विवेकानंद के जीवन में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनसे प्रेरणा लेकर हम अपना जीवन संवार सकते हैं। युवा भारत के प्रेरणा स्त्रोत स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद के जीवन चरित्र पर नज़र डालें तो हम यह पाऐंगे कि वे बचपन से ही तीव्र बुद्धि वाले थे। उनके मन में प्रारंभ से ही पमात्मा को प्राप्त करने की इच्छा थी। उनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता उच्च न्यायालय के लोकप्रिय अभिभाषक थे। विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। उनके पुत्र नरेंद्र को अंग्रेजी का वे अभ्यास करवाना चाहते थे लेकिन नरेंद्र के जीवन पर उनकी माता भुवनेश्वरी देवी की छाप पड़ी हुई थी। वे वेदान्त और योग को पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति में प्रचलित करने हेतु महत्वपूर्ण योगदान देना चाहते थे।
लेकिन पिता विश्वनाथ दत्त की मृत्यु के बाद घर का भार नरेंद्र पर आ गया। घर की दशा बेहद खराब थी। दरिद्रता में भी नरेंद्र बड़े अतिथिसेवी थे। विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई थी और घर का सारा भार नरेंद्र-स्वामी विवेकानंद पर ही आ गया। घर की दशा बेहद खराब हो गई थी। गरीबी में नरेंद्र ने अतिथि सेवा भी बहुत की। वे भूखे रहकर अतिथि को भोजन करवाते और बारिश में रातभर भीगते ठिठुरते रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते थे।
उनके जीवन में उनके गुरू स्वामी रामकृष्ण परमहंस का विशेष प्रभाव था। उनके गुरू स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने उन्हें दक्षिणेश्वर महाकालि के साक्षात् दर्शन करवाए। स्वामी जी ने अपने गुरू की प्रेरणा से विश्व को भारत की आध्यात्मिक शक्ति का परिचय दिया और जरूरतमंदों की सेवा के माध्यम से सन्यास जीवन को सार्थक बनाया। उनकी स्मृति में भारत में युवा दिवस मनाया जाता है। इस दिन युवाओं को प्रेरक विचार से सींचा जाता है साथ ही सामूहिक सूर्यनमस्कार के आयोजनों से लोगों को योग की प्रेरणा दी जाती है। स्वामीजी वास्तव एक विराट स्वरुप वाले व्यक्ति थे। 4 जुलाई 1904 को स्वामी जी का देहावसान हो गया। एक नई और महान सोच वाले व्यक्ति ने इस धरती को अलविदा कह लिया।
स्वामी विवेकानंद के विचार सदैव प्रेरणास्पद रहे हैं. उनके विचार आज भी प्रासंगिक है जो हमारे जीवन की दिशा बदल सकते हैं. आज उनके जन्मदिवस के मौके पर प्रस्तुत है उनके यह दस विचार -
1. उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये।
2. तमाम संसार हिल उठता। क्या करूँ धीरे-धीरे अग्रसर होना पड़ रहा है। तूफ़ान मचा दो तूफ़ान!
3. जब तक जीना, तब तक सीखना'- अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
4. पवित्रता, दृढ़ता तथा उद्यम- ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूँ।
5. ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
6. जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
7. आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो।
8. हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है।
9. लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्मी तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहान्त आज हो या एक युग मे, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो।
10. तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ। जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो, तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते।