स्वस्तिक एक विशेष आकृति है, और इसके साथ किसी भी कार्य का शुभारंभ किया जाता है. जी दरअसल ऐसा कहते है कि स्वस्तिक चारों दिशाओं से शुभ और मंगल को आकर्षित करता है. हालाँकि इससे शुभ कार्यों की शुरुआत होती है, इस वजह से इसे भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है. केवल यही नहीं बल्कि इसके प्रयोग से सम्पन्नता, समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है. कहा जाता है अगर किसी शुभ कार्य से पहले स्वस्तिक का प्रयोग ना किया जाए तो उसके सफलतापूर्वक संपन्न होने की संभावना बहुत कम रहती है.
स्वस्तिक का महत्व- कहा जाता है सही तरीके से बने हुए स्वस्तिक से ढेर सारी सकारात्मक ऊर्जा निकलती है. जी हाँ और यह ऊर्जा वस्तु या व्यक्ति की रक्षा करती है. इसी के साथ स्वस्तिक की ऊर्जा का अगर घर, अस्पताल या दैनिक जीवन में प्रयोग किया जाए तो व्यक्ति रोगमुक्त और चिंताओं से दूर रहता है. लेकिन ध्यान रहे गलत तरीके से प्रयोग किया गया स्वस्तिक भयंकर समस्याएं भी दे सकता है. कहा जाता है स्वस्तिक की रेखाएं और कोण बिलकुल सही होने चाहिए. जी हाँ और भूलकर भी उल्टे स्वस्तिक का निर्माण और प्रयोग न करें.
कहते हैं लाल और पीले रंग के स्वस्तिक ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं.इसके अलावा यह भी ध्यान रहे स्वस्तिक बनाने के लिए केवल तीन रंगों का ही प्रयोग किया जा सकता है- लाल, पीला और नीला. किसी अन्य रंग का बना स्वस्तिक समस्याएं दे सकता है. अगर स्वस्तिक को धारण करना है तो इसके गोले के अंदर धारण करें.
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