स्टॉकहोल्म: स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में स्थित बड़ी मस्जिद के सामने बकरीद के त्यौहार पर कुरान जलाने के एक सप्ताह बाद फिर से अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर इसी तरह के प्रदर्शन की इजाजत माँगी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, कथित फ्री-स्पीच कार्यकर्ताओं ने यहूदियों की धार्मिक पुस्तक तौरात और ईसाइयों की धार्मिक पुस्तक बाइबिल को को जलाने की इजाजत देने के लिए पुलिस को 3 आवेदन दिए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय पुलिस ने बुधवार (5 जुलाई) को स्वीडन के सरकारी ब्रॉडकास्टर को जानकारी देते हुए बताया है कि उनसे 30 वर्षीय एक व्यक्ति ने 15 जुलाई को स्टॉकहोम में इज़राइल के दूतावास के बाहर यहूदी और ईसाई धर्मग्रंथों को जलाने की इजाजत मांगी है। यह प्रदर्शन ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी की प्रतीकात्मक सभा’ के रूप में आयोजित करने के संबंध में बताया गया। पुलिस ने बताया कि एक 50 वर्षीय महिला ने स्टॉकहोम में कुरान को जल्द से जल्द जलाने की अनुमति मांगी है। पुलिस का कहना है कि उसने किसी भी अनुरोध को फ़ौरन खारिज नहीं किया। पुलिस का कहना है कि हर आवेदन की व्यक्तिगत आधार पर पहले समीक्षा की जाती है, फिर उसपर फैसला लिया जाता है।
वहीं, स्वीडन में इज़राइल के राजदूत ज़िव नेवो कुलमन ने इस पर आग्रह पर निराशा प्रकट की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, 'मैं स्वीडन में और ज्यादा पुस्तकों को जलाने की आशंका से स्तब्ध और डरा हुआ हूँ। चाहे वह कुरान हो, तौरात हो या कोई अन्य पवित्र पुस्तक हो। यह स्पष्ट रूप से घृणा का कार्य है, जिसे रोका जाना चाहिए।'
बता दें कि स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में स्थित सबसे बड़ी मस्जिद के बाहर बकरीद वाले दिन कुरान को जलाया गया था। प्रदर्शन सलवान मोमिका इराकी मूल का था। उसने प्रदर्शन के लिए स्वीडन पुलिस से अनुमति माँगी थी, लेकिन पुलिस ने इजाजत नहीं दी। इसके बाद उसने अभिव्यक्ति की आज़ादी का हवाला देते कोर्ट से कुरान जलाने की इजाजत माँगी और कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी। इस घटना के बाद दुनियाभर के इस्लामी देशों में बवाल हो गया और इस्लामी मुल्कों ने इसकी कड़ी निंदा की।
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