31 साल बाद गिरफ्तार हुआ 1993 के मुंबई दंगों का आरोपित सैयद नादिर शाह अब्बास खान

31 साल बाद गिरफ्तार हुआ 1993 के मुंबई दंगों का आरोपित सैयद नादिर शाह अब्बास खान
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मुंबई: 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के एक आरोपित, सैयद नादिर शाह अब्बास खान, को 31 साल की फरारी के बाद मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी ने एक बार फिर 1992-93 के दंगों और उसके बाद हुई घटनाओं को याद दिला दिया है।

बाबरी मस्जिद विध्वंस और मुंबई दंगे
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। मुंबई में ये दंगे विशेष रूप से उग्र हो गए थे, जिनमें लगभग 900 लोग मारे गए थे। इन दंगों के दौरान शहर में कई जगह आगजनी, लूटपाट, और हत्या जैसी घटनाएं हुईं, जिससे आम जनता में भय और आतंक का माहौल बन गया था।

सैयद नादिर शाह अब्बास खान की फरारी
सैयद नादिर शाह अब्बास खान उन आरोपियों में से एक था, जिसे दंगों के दौरान हत्या की कोशिश और अवैध रूप से एकत्र होने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद वह फरार हो गया और किसी भी अदालती कार्यवाही में शामिल नहीं हुआ। इसके चलते अदालत ने उसे फरार घोषित कर दिया और उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। 31 साल तक वह पुलिस को चकमा देकर फरार रहा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सैयद नादिर शाह अब्बास खान (65) को रफी अहमद किदवई मार्ग थाने की टीम ने सोमवार को शिवडी इलाके से गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए कई बार मध्य मुंबई के शिवडी स्थित उसके घर पर छापेमारी की, लेकिन वह हर बार पुलिस की पकड़ से बच निकला। पुलिस ने आखिरकार उसके एक रिश्तेदार के मोबाइल फोन की जाँच की, जिसमें उसे खान के ठिकाने का सुराग मिला। 29 जून को रफी अहमद किदवई मार्ग थाने को सूचना मिली कि खान अपने घर जा रहा है, जिसके बाद पुलिस ने जाल बिछाकर उसे गिरफ्तार कर लिया।

कानूनी कार्यवाही
अधिकारी ने बताया कि खान को 1993 के मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की आगे की जाँच जारी है। पुलिस यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि इस बार खान कानून की गिरफ्त से बच न सके और उस पर लगे आरोपों की पूरी जांच हो सके।

मुंबई के दंगे और बम विस्फोट
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भड़के दंगों के अलावा, 1993 में मुंबई में 13 जगहों पर सीरियल ब्लास्ट भी हुए थे, जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए थे और हजारों घायल हुए थे। इन धमाकों ने मुंबई को हिला कर रख दिया था और शहर में सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए थे।

नतीजा
1992-93 के दंगे और उसके बाद के बम विस्फोटों ने मुंबई को एक लंबे समय तक आतंक और दहशत के साए में रखा। सैयद नादिर शाह अब्बास खान की गिरफ्तारी ने एक बार फिर से उन दर्दनाक यादों को ताजा कर दिया है। पुलिस इस बात की पूरी कोशिश कर रही है कि इस बार न्याय की प्रक्रिया को पूरा किया जाए और दोषियों को सजा दिलाई जाए।

इस गिरफ्तारी ने 1992-93 के दंगों के पीड़ितों के लिए एक उम्मीद की किरण जगाई है कि दोषियों को अंततः न्याय मिलेगा। पुलिस और कानूनी प्रणाली की ओर से यह सुनिश्चित करने का प्रयास जारी है कि इस मामले में कोई भी दोषी बच न सके और मुंबई में शांति और कानून व्यवस्था बनी रहे।

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