बीमारी के लक्षण का शुरुआत में पता चल जाए तो इलाज भी जल्दी संभव हो जजाता है इन दिनों टाइप 2 डायबीटीज की बीमारी दुनियाभर में तेजी से फैल रही है। आंकड़ों के अनुसार, अकेले भारत में ही करीब 10 लाख लोग टाइप-2 डायबीटीज का शिकार हैं। अभी भारत में डायबीटीज से पीड़ित 25 वर्ष से कम आयु के हर 4 लोगों में से 1 को टाइप 2 डायबीटीज है। लाइफस्टाइल से जुड़ी इस बीमारी में हमारा शरीर इंसुलिन का प्रॉडक्शन नहीं कर पाता जिस वजह शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने लगता है।
ध्यान देने वाली बात ये है की हालांकि अगर सही तरीके से ध्यान दिया जाए तो महज 8 साल की उम्र में ही बच्चे में लक्षण दिखने लगते हैं जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि इस बच्चे को वयस्क होकर टाइप 2 डायबीटीज होगा या नहीं। दरअसल, टाइप 2 डायबीटीज के लक्षण धीरे-धीरे कई सालों में विकसित होते हैं औऱ मिडिल एज आते-आते बीमारी डायग्नोज होती है। अनुसंधानकर्ताओं अपनी रिसर्च के जरिए यह जानने की कोशिश की कि कितनी जल्दी और कितनी कम उम्र में टाइप 2 डायबीटीज के लक्षण शरीर में दिखने लग जाता हैं।
हाल ही में एक शोध अध्ययन में ये पाया गया की एक बार बचपन में 8 साल की उम्र में पार्टिसिपेंट्स का डेटा लिया गया, फिर दूसरी बार किशोरावस्था में 16 और फिर 18 साल की उम्र में और उसके बाद वयस्क होने पर 25 साल की उम्र में। स्टडी के नतीजों से पता चला कि 8 साल की उम्र में एचडीएल कलेस्ट्रॉल का लेवल कम था दबकी इन्फ्लेमेट्री ग्लाइकोप्रोटीन एसलाइलस और अमीनो ऐसिड का लेवल 16 और 18 साल की उम्र में बढ़ा हुआ था। इन मेटाबॉलिक फीचर्स को टार्गेट कर भविष्य में टाइप 2 डायबीटीज होने से रोका जा सकता है।
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