इस्लामाबाद: लगभग 93 वर्ष पूर्व इस्लाम के प्रचार के लिए भारत के देवबंद में बनाया गया तबलीगी जमात एशिया में कोरोना वायरस के प्रसार का बड़ा कारण बनकर सामने आया है। दुनिया भर में लगभग 15 करोड़ सदस्यों वाले तबलीगी जमात के इज्तिमा से भारत ही नहीं बल्कि, पूरे एशिया में हाहाकार मच गया है। आलम यह है कि इस जमात की गलती का खामियाज़ा अब मलेशिया, पाकिस्तान सहित एशिया के कई देश भुगत रहे हैं।
पाकिस्तान में तब्लीगी इज्तिमा :-
दिन 12 मार्च, स्थान पाकिस्तान का लाहौर शहर। कोरोना महामारी के बीच विश्व के 80 देशों के ढाई लाख लोग तबलीगी जमात के आयोजन में शिरकत करने पहुंचे। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, आयोजन स्थल पर इतनी अधिक भीड़ जुटी कि लोगों को खुले में जमीन पर सोना पड़ा। इस कार्यक्रम में 10 हजार मौलाना भी शामिल होने पहुंचे थे। कोरोना के खतरे को देखते हुए पाकिस्तानी अधिकारियों ने तबलीगी जमात के धर्मगुरुओं से यह बैठक रद्द करने की अपील की लेकिन जमात ने उनकी एक नहीं सुनी।
इसका परिणाम यह हुआ कि तबलीगी जमात की यह बैठक पाकिस्तान में कोरोना वायरस के प्रसार का बहुत बड़ा माध्यम बन गई। पाकिस्तान में तबलीगी जमात के 27 सदस्यों में कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया है। बताया जा रहा है कि यह संख्या और अधिक बढ़ सकती है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कोरोना के काफी तेजी से बढ़ते मामलों के पीछे भी यही इज्तिमा कसूरवार है। पाकिस्तान में कुल 1836 लोग कोरोना से संक्रमित हैं और 23 लोगों की जान गई है।
मलेशिया और भारत में असर:-
इसके साथ न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मलेशिया में भी इसी किस्म की तबलीगी जमात की एक बैठक हुई थी। अब इस आयोजन में हिस्सा लेने वाले 620 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। कोरोना पॉजिटिव पाए गए लोग दक्षिण पूर्व एशिया के 15 देशों के रहने वाले हैं। वहीं, भारत में भी तबलीगी जमात की 18 मार्च को आयोजित एक बैठक से पूरे देश में कोहराम मचा दिया है। दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में हुई इस बैठक में शामिल होने वाले 10 लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो गई है। साथ ही यहाँ 300 लोगों के संक्रमित होने का खतरा है।
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