'राहुल गांधी के खिलाफ बोलने वालों पर कार्रवाई करें..', पीएम मोदी को खड़गे का पत्र

'राहुल गांधी के खिलाफ बोलने वालों पर कार्रवाई करें..', पीएम मोदी को खड़गे का पत्र
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नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू और कुछ अन्य नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। खरगे ने पत्र में बधाई देने के साथ-साथ उन नेताओं के राहुल गांधी के खिलाफ दिए गए 'आपत्तिजनक और हिंसक' बयानों का जिक्र किया है, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि ये भविष्य के लिए घातक हैं।

खरगे ने पत्र में लिखा, “सबसे पहले, मैं आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूं। इसके साथ ही, मैं आपका ध्यान एक महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं जो लोकतंत्र और संविधान से जुड़ा है।” उन्होंने बताया कि लोकसभा में राहुल गांधी के खिलाफ अपमानजनक और हिंसक बयानों की एक श्रृंखला चल रही है, और भाजपा तथा सहयोगी दलों के नेताओं द्वारा उपयोग की गई हिंसक भाषा बेहद चिंताजनक है।

खरगे ने कहा कि केंद्र सरकार के रेल राज्य मंत्री और उत्तर प्रदेश के भाजपा मंत्री ने राहुल गांधी को “नंबर एक आतंकवादी” बताया है। महाराष्ट्र में, सहयोगी दल के एक विधायक ने राहुल गांधी की "जुबान काट कर लाने वाले" को 11 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। दिल्ली में एक भाजपा नेता ने राहुल गांधी को “हश्र दादी जैसा” करने की धमकी दी है। खरगे ने इस पर भी प्रकाश डाला कि भारतीय संस्कृति की पहचान अहिंसा, सद्भाव और प्रेम से है, जिसे महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने राजनीति के मानक के रूप में स्थापित किया था।

खरगे ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वे अपने नेताओं को अनुशासन और मर्यादा का पालन करने के निर्देश दें और ऐसे बयानों के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने भरोसा जताया कि प्रधानमंत्री अपेक्षित कार्यवाही करेंगे ताकि भारतीय राजनीति को पतनशील बनने से रोका जा सके और कोई अनहोनी न हो। यह पत्र रवनीत सिंह बिट्टू द्वारा राहुल गांधी की आलोचना के बाद लिखा गया था, जिन्होंने अमेरिका यात्रा के दौरान राहुल गांधी को “देश का सबसे बड़ा दुश्मन और आतंकवादी” बताया था।

राहुल के खिलाफ अचानक क्यों फूटा गुस्सा ?

बता दें कि राहुल गांधी के हालिया अमेरिकी दौरे पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। वहां विपक्ष के नेता ने जिन लोगों से मुलाकात की है, जैसे बयान दिए हैं, उससे भारत में गुस्सा बढ़ा है। राहुल ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिखों को पगड़ी-कड़ा पहनने और गुरुद्वारा जाने का अधिकार नहीं है। जिसका खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने खुला समर्थन किया था और राहुल के बयान को हथियार बनाकर खालिस्तान की मांग को जायज ठहराया था। फिर राहुल ने एक और बयान में आरक्षण ख़त्म करने की बात कह दी। जिससे मायावती, जीतनराम मांझी, चिराग पासवान, रामदास अठावले जैसे दलित नेता नाराज़ हुए। 

 

इस बीच राहुल गांधी ने अमेरिकी डिप्लोमेट डोनाल्ड लू से मुलाकात की, जिस पर पाकिस्तान और बांग्लादेश में सरकारें गिराने का आरोप है। राहुल की इस बैठक को भी भारत में तख्तापलट की कोशिश के रूप में देखा गया, खासकर तब, तब विपक्षी नेता भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा होने की धमकियां दे रहे हैं। राहुल ने भारत विरोधी सांसद इल्हाना उमर से भी मुलाकात की, जो पाकिस्तान समर्थक और ISI एजेंट मानी जाती है। इस पर तो खुद कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए लिखा था कि बस करो नेताजी, बहुत हो गया। वैसे कोई भी आम भारतीय नागरिक यही सोचेगा कि राहुल ऐसे बयान क्यों दे रहे हैं, जिनका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं ? और ऐसे लोगों से क्यों मिल रहे हैं, जिनके दिलों में हर समय भारत के लिए नफरत पलती रहती है ?    

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