हलकी सी मुस्कराहट भी कमाल कर देती है और आपके और सामनेवाले का दिन बना देती हैं.कई बार आपने ऐसे लोग भी देखे होंगे जो हँसते है तो उनकी दांतों की तरफ जब नजर जाती है तो मन ख़राब से हो जाता है. होना भी चाहिए क्यूंकि स्वस्थ और चमकीले दांत जब नजर आते हैं तो हंसने का अंदाज भी कुछ और होता है. मुंह से बदबू आना, धब्बेदार दांत, कीड़े लगे दांत, जैसी बहुत सी तकलीफे आम है. इन सब का एक ही कारण होता है कि हम अपने दांतो का पूरा ख्याल नहीं रखते। आज हम दांतों में होने वाली कुछ समस्याओं के बारे में जानकारी दे रहे है.
खाने के बाद अगर हम कुल्ला या ब्रश न करें तो खाने के कुछ कण मुंह में रह जाते हैं। खाना खाने के कुछ मिनटों के अंदर ही बैक्टीरिया खाने के कणों या स्टार्च वाली चीजों को एसिड में बदल देते हैं। यह एसिड और मुंह की लार मिलकर प्लाक बनाते हैं। यह कुछ दांतों पर चिपक जाता है। अगर काफी दिनों तक उन दांतों की ढंग से सफाई न हो तो यह प्लाक सख्त होकर टारटर बन जाता है और दांतों व मसूड़ों को खराब करने लगता है।
मसूड़ों में सूजन और खून निकलने लगे और चबाते हुए दर्द होने लगे तो पायरिया हो सकता है। पायरिया होने पर दांत के पीछे सफेद - पीले रंग की परत बन जाती है। कई बार हड्डी गल जाती है और दांत हिलने लगता है। पायरिया की मूल वजह दांतों की ढंग से सफाई न करना है। शुरू में इलाज कराने से सर्जरी की नौबत नहीं आती। क्लीनिंग, डीप क्लीनिंग और फ्लैप सर्जरी से पायरिया का ट्रीटमेंट होता है।
चाय - कॉफी, पान और तंबाकू आदि खाने से बदरंग हुए दांतों को सफेद करने के लिए ब्लीचिंग की जाती है। दांतों की सफेदी करीब डेढ़ - दो साल रहती है और उसके बाद दोबारा ब्लीचिंग की जरूरत पड़ सकती है। मुँह को स्वस्थ रखने के लिए जीभ को साफ़ करना भी उसी तरह जरूरी है जैसे दाँतो को साफ़ करना जबकि हम अक्सर जीभ की तरफ ध्यान नहीं देते | मुँह में बदबू, मसूडों या जीभ पर जमी मैल के कारण ही होती है | दाँतो की सभी सतहो तक ब्रश नहीं पहुँच पाता | दो दांतों के बाच की जगह में फंसा खाना दांतों को बहुत ही नुक्सान पहुंचाता है इसको निकालने के लिए बहुत ही पतले धागे का इस्तेमाल किया जाता है जिसको फ्लोस करना कहते हैं |
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