बैंगलोर: मुस्लिमों के त्यौहार बकरीद से पहले कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मंत्री और पार्टी सुप्रीमो मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियांक खड़गे ने ऐसा बयान दिया है, जिसपर बवाल मच सकता है। दरअसल, खड़गे ने अप्रत्यक्ष रूप से बजरंग दल और गौ रक्षकों को सख्त चेतावनी देते हुए पुलिस अधिकारियों से कहा कि जो लोग कानून अपने हाथ में लेते हैं और कहते हैं कि वे इन ‘दल’ से हैं। ऐसे लोगों को पीटकर जेल में डाल दो।
दरअसल, बकरीद में एक सप्ताह से कम दिन बचे हैं। इस बीच कांग्रेस सुप्रीमो मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने पुलिस अफसरों से कहा है कि वो गौ रक्षा में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। बकरीद का त्योहार मुस्लिम समुदाय अंतर्राष्ट्रीय रूप से मनाता है। वहीं रिश्तेदारों के बीच कुर्बानी के मांस का वितरण और तकबीर का जाप इस दिन की सबसे अहम प्रथाओं में शामिल हैं। इसी के मद्देनज़र पुलिस अफसरों के साथ बैठक के दौरान खड़गे ने बजरंग दल के सदस्यों को अप्रत्यक्ष तौर पर धमकी देते हुए कहा कि, 'जो लोग कानून अपने हाथ में लेते हैं और कहते हैं कि वे इन दल से हैं, उन्हें लात मारो’ और सलाखों के पीछे डाल दो।
कलबुर्गी में एक मीटिंग के दौरान मंत्री खड़गे ने कहा कि यदि कोई स्वयंभू नेता है और सांप्रदायिक मुद्दों के नाम पर जहर उगलता है, तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए। मैं गैर-जरुरी सांप्रदायिक दंगे नहीं चाहता। खड़गे ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि पशुधन के परिवहन पर कानून बेहद स्पष्ट है, चाहे वह शहरी सीमा के अंदर हो या ग्रामीण क्षेत्र। अगर उनके पास सही डाक्यूमेंट्स हैं, तो उन्हें परेशान न करें। उन्होंने कहा कि, कुछ माह पहले, एक मवेशी व्यापारी इदरीस पाशा की कथित तौर पर रामानगर में एक हिंदुत्व चरमपंथी, पुनीथ केरेहल्ली द्वारा क़त्ल कर दिया गया था। सीएम सिद्धारमैया ने उनके परिवार को 25 लाख रुपये रुपए मुआवज़ा दिया है।
Vijayapura Mulla, In Karnataka making peaceful EID Speech : Will sacrifice Cow during Bakrid, and will sacrifice Shaitan( BJP MLA B S Yatnal) too if it opposes Cow slaughter. ....This extraordinarily peaceful speech he makes in front of Cong Minister Shivananda Patil. pic.twitter.com/lApyMjptkf
— VADIRAJ C S ???????? (@vschanna) June 17, 2018
बता दें कि, 2018 में कर्नाटक में विजयपुरा के हाशिम पीर दरगाह के प्रमुख तनवीर हाशमी ने एक बयान देते हुए कहा था कि, 'मैं आपको बताना चाहता हूं कि दो माह में बकरीद आने वाली है। गाय के नाम पर यह शैतान शरारत करेगा। मैं आपको (मंत्री को) पहले ही बता रहा हूं ताकि गाय के साथ कोई और कुर्बानी ना हो।' यानी मौलवी हाशमी ने खुलेआम गौहत्या करने का ऐलान किया था, वो भी राज्य के कांग्रेस मंत्री शिवानंद पाटिल की उपस्थिति में और कर्नाटक में गौहत्या कानून लागू था। हालाँकि, अब कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ कर्नाटक की सत्ता में है, और मंत्री प्रियंक खड़गे ने गौरक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दे दिए हैं। यानी अब यदि कर्नाटक पर बकरीद के समय गाय काटी जाती है, तो गौरक्षक उसे चुपचाप देखें, वरना मंत्री के आदेशानुसार उन्हें लात मारकर, जेल में डाल दिया जाएगा।
बंगाल में रामनवमी और रमजान के दौरान ऐसे ही भड़की थी हिंसा :-
बता दें कि, प्रियंक खड़गे का बयान जिस तरह एकतरफा है, यानी केवल हिन्दुओं के लिए ही चेतावनी है, मुस्लिम समुदाय के लिए कोई निर्देश नहीं है, ठीक इसी तरह का एकतरफा बयान कुछ महीनों पहले रमजान के दौरान बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी दिया था। सीएम ममता बनर्जी ने हिंसा के बाद कहा था कि, मुस्लिम रमजान के महीने में कोई गलत काम कर ही नहीं सकते, शोभायात्रा वाले लोग ही अपना जुलुस लेकर मुस्लिम इलाके में घुसे और आपत्तिजनक नारे लगाए, जिससे हिंसा भड़क गई। हालाँकि, सोशल मीडिया पर शोभायात्रा पर पथराव करते लोगों के वीडियो देखने को मिले हैं। रामनवमी से पहले भी ममता बनर्जी ने एक बयान में चेतावनी देते हुए कहा था कि, 'शोभायात्रा के दौरान किसी मुस्लिम के घर हमला हुआ तो उसे छोड़ूंगी नहीं।'
अब गौर करने वाली बात ये भी है कि, एक तरफ ममता बनर्जी कह रहीं हैं कि, जुलुस वाले मुस्लिम इलाके में क्यों घुसे, वहीं कोलकाता हाई कोर्ट का कहना है कि, बंगाल पुलिस द्वारा तय किए गए मार्ग से ही जुलुस निकाला गया। इस पर सवाल ये उठता है कि, यदि मुस्लिम इलाके में हिंसा की आशंका थी, तो पुलिस ने वहां से जुलुस निकालने की अनुमति क्यों दी ? और वो कौन से आपत्तिजनक नारे थे, जिन्हे पुलिस ने नहीं सुना, या फिर सुना भी, तो जुलुस वालों को वो नारे लगाने नहीं रोका ? और यदि नारे आपत्तिजनक थे भी, तो मुस्लिम समुदाय के लोग पुलिस में शिकायत कर सकते थे, शोभायात्रा पर पथराव क्यों किया ? कोलकाता हाई कोर्ट के कहना था कि, लोगों के घरों की छतों पर पत्थर, बोतल पहले से इकठ्ठा थी, यानि हमले की योजना पहले से थी। लेकिन, हिंसा के बाद भी सीएम ममता बनर्जी ने हिन्दू संगठनों को ही दोषी ठहराया था, यानी जिसपर हमला हुआ, वही गुनहगार। अब ऐसा ही अगर कुछ कर्नाटक में होता है, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। खैर, इस समय कोई जुलुस तो नहीं निकलने वाला, बस गौरक्षक और बजरंग दल बकरीद पर कहीं गाय कटने से रोकने न पहुंच जाएं, वरना शांतिभंग करने और अल्पसंख्यकों को परेशान करने के मामले में उनपर कार्रवाई हो सकती है।
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