काबुल: अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान की सरकार बन चुकी है. इस सरकार में एक चौथाई मंत्री ऐसे हैं, जो पाकिस्तानी मदरसों के न केवल स्टूडेंट रहे हैं, बल्कि अभी भी वहां के मदरसों में इस्लामी शिक्षा के नाम पर आतंकी तैयार कर रहे हैं. इतना ही नहीं तालिबानियों की सरकार में 5 मंत्री ऐसे भी हैं, जो अमेरिका की सूची में खूंखार आतंकी है, उनके सिर पर करोड़ों रुपये का इनाम भी घोषित है. दरअसल, पाकिस्तान की शह पर तालिबानियों की आतंकी सरकार का गठन हो चुका है. आइए जानते हैं तालिबानी सरकार के प्रति विभिन्न देशों की राय:-
चीन- ड्रैगन पूरी तरह तालिबान सरकार के समर्थन में है, अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के गठन की घोषणा के 24 घंटे के अंदर ही चीन ने मदद के लिए अपना खजाना खोल दिया है. चीन ने अफगानिस्तान के लिए 200 मिलियन युआन (31 मिलियन यूएस डॉलर) मूल्य के अन्न, सर्दियों के सामान कोरोना वायरस वैक्सीन की मदद देने की घोषणा की है.
रूस- भारत में नियुक्त रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने ये साफ़ कर दिया है कि वो तालिबान की सरकार को मान्यता देने की जल्दबाजी में नहीं है. उन्होंने ये भी कहा है कि वे इस मुद्दे पर भारत के साथ हैं. हालांकि, काबुल पर कब्जे से पहले तालिबानी नेताओं ने रूस में ही कई बार प्रेस वार्ता कर अपनी भावी योजनाओं के बारे में बताया था. इस दौरान इन नेताओं ने रूसी नेताओं से बात भी की थी. वहीं, काबुल पर कब्जे के बाद रूस ने इसको बड़ी जीत बताया था. रूस के विदेश मंत्री ने यहां तक कहा था कि अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार से बेहतर तालिबान का शासन है. इसके बाद भी कई दफा तालिबानी नेताओं रूस के नेताओं की आपस में वार्ता हुई है.
ब्रिटेन- ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने कहा है कि वे अफगानिस्तान का सामाजिक आर्थिक ताना-बाना टूटते हुए नहीं देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि तालिबान के सहयोग के बगैर 15 हजार लोगों को निकालने का इंतज़ाम नहीं हो सकता है. डोमिनिक राब ने आगे कहा कि हमारा स्टैंड यही रहेगा कि तालिबान को मान्यता नहीं देंगे, किन्तु उससे प्रत्यक्ष वार्ता करके राहत कार्यों को अंजाम दिया जाएगा.
भारत- संयुक्त राष्ट्र में शांति की संस्कृति पर आयोजित बैठक में भारत ने बगैर किसी का नाम लिए कहा है कि वैश्विक महामारी में भी असहिष्णुता, हिंसा आतंकवाद में वृद्धि देखी जा रही है. आतंकवाद धर्मों संस्कृतियों का भी विरोधी है. धर्म का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों उनका समर्थन करने वालों को जायज़ ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता.
पाकिस्तान- पाकिस्तान के पीएम इमरान खान पहले ही खुलकर तालिबान का समर्थन कर चुके हैं। वहीं, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी तालिबान के समर्थन में खुलकर बयान दे चुके हैं, साथ ही पाक की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI, पंजशीर में लड़ने के लिए तालिबान को मदद दे रही है।
अमेरिका- US के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि चीन, पाकिस्तान, रूस और ईरान यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आतंकी संगठन तालिबान के साथ उन्हें क्या करना है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने प्रेस वार्ता में कहा कि तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दी नहीं है. यह इस पर निर्भर करेगा कि तालिबान आगे क्या फैसले लेता है. अमेरिका सहित पूरी दुनिया की नजर तालिबान पर है.
यूरोपीय संघ- यूरोपीय संघ ने कहा कि वह अफ़ग़ानिस्तान से अपने लोगों को निकालने की प्रक्रिया की निगरानी करने में नई अफ़ग़ान सरकार के सुरक्षा मानवाधिकारों जैसे मुद्दों पर प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए काबुल में राजनयिक मिशन को पुनः स्थापित करने का प्लान बना रहा है. यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ बोरेल ने कहा कि सख्त शर्तो के तालिबान से संपर्क करेंगे, किन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि वह नई अफगान सरकार को मान्यता देंगे. अफगानी आबादी का साथ देने के लिए वहां की मौजूदा सरकार से संपर्क साधना आवश्यक है.
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