काबुल: अफगानिस्तान में शांति के प्रयासों को एक बार फिर उस समय झटका लगा जब तालिबान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अफगानिस्तान के संबद्ध पक्षों के बीच की वार्ता में तभी शामिल होगा, जब अमेरिका के साथ हुए समझौते के तहत उसके पांच हजार बंदियों को रिहा किया जाएगा।
कतर के दोहा में अमेरिका और तालिबान के मध्य हुए शांति समझौते में यह प्रावधान है कि तालिबान अपने कब्जे से एक हजार बंदियों को रिहा करेगा और अफगानिस्तान सरकार तालिबान के पांच हजार युद्ध बंदियों को रिहा करेगी। किन्तु, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को कहा गया है कि वह इस संबंध में वादा नहीं कर सकते कि तालिबान कैदियों को छोड़ा जाएगा। यह अमेरिका नहीं बल्कि अफगानिस्तान के लोग निर्धारित करेंगे कि किसे छोड़ा जाए और किसे नहीं।
समझौते में यह प्रावधान भी है कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए तालिबान, अफगानिस्तान सरकार व अन्य संबंद्ध अफगान पक्षों के साथ बातचीत में शामिल होंगे। 'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक, गनी द्वारा कैदियों को रिहा करने से एक प्रकार से मना कर देने के बाद सोमवार को तालिबान ने कहा है कि वे तालिबान कैदियों की रिहाई होने पर ही अंतर-अफगान वार्ता में शामिल होंगे।
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