वाशिंगटन: अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों से लड़ने में अमेरिका के साथ सहयोग करने की संभावना को तालिबान ने शनिवार को सिरे से खारिज कर दिया और अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की अगस्त में पूरी तरह से वापसी के बाद से अमेरिका और आतंकी संगठन तालिबान के बीच होने जा रही पहली सीधी बातचीत के पहले इस अहम मुद्दे पर उसने सख्त रवैया अपना लिया है।
अमेरिकी अफसर शनिवार और रविवार को तालिबान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कतर की राजधानी दोहा में मीटिंग करेंगे। इसका मकसद विदेशी नागरिकों और ऐसे अफगान लोगों की अफगानिस्तान से निकासी को सुगम बनाना है, जिन पर खतरा है। इसके साथ ही, अफगानिस्तान में आतंकी समूहों को नियंत्रित करने के बारे में भी बात हो सकती है। दोनों पक्षों के अधिकारियों ने इस संबंध में जानकारी दी है। तालिबान ने संकेत दिए हैं कि लोगों की अफगानिस्तान से निकासी को लेकर वह लचीला रवैया अपना सकता है।
अगस्त महीने में अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के बाद यह इस तरह की पहली मीटिंग है। वार्ता कतर के दोहा में होगी। तालिबान के सियासी प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने मीडिया को शनिवार को बताया कि अफगानिस्तान में तेजी से एक्टिव होते जा रहे इस्लामिक स्टेट समूह से सम्बंधित संगठनों को लेकर उसकी तरफ से वाशिंगटन को किसी प्रकार का सहयोग नहीं दिया जाएगा। शाहीन ने कहा कि, ''दायेश (इस्लामिक स्टेट) से अपने दम पर निबटने में हम सक्षम हैं।''
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