काबुल: अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद ऐसा लग रहा था जैसे कि पाकिस्तान के साथ उसकी काफी जमेगी। हालांकि, मौजूदा हालातों को देखें, तो तालिबान पाकिस्तान को तवज्जो नहीं दे रहा है, उल्टे सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों में दरार पैदा हो गई है। वहीं आर्थिक और सियासी संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने भी युद्ध की घोषणा कर दी है।
इसी बीच अफगानिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए भारत की तरफ देख रहा है। बता दें कि तालिबानी कब्जे के बाद भी भारत ने खाद्यान्न भेजकर अफगानिस्तान की मदद की थी। अब अफगानिस्तान ने अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए एक बार फिर भारत से सहायता मांगी है। उसने भारत से अपने प्राइवेट सेक्टर से निवेश करने को कहा है, ताकि उसकी आर्थिक हालत सुधारी जा सके। बीते हफ्ते तालिबान के शहरी विकास मंत्री ने भारत की टेक्निकल टीम के चीफ भारत कुमार के साथ मीटिंग की थी। तालिबान चाहता है कि भारत उसकी न्यू काबुल सिटी बनाने में मदद करे।
बता दें कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद भारत ने अपने राजनयिक संबंध बंद कर दिए थे। हालांकि इस साल जून में भारत की ओर से एक टेक्निकल टीम काबुल भेजी गई है। यह विकास के काम कर रही है। बीते दो दशक में भारत अफगानिस्तान में लगभग 3 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है। भारत मुख्यतः इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करता है। भारत ने ही अफगानिस्तान का संसद भवन बनवाया है। हेरात में फ्रेंडशिप डैम का निर्माण करवाया है। इसके साथ ही हबीबा हाई स्कूल को दोबारा बनवाया गया है।
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