नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद में लड़कियों के अकेले प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। यह फरमान मस्जिद प्रशासन ने जारी किया है। इस फरमान की एक प्लेट भी बाकायदा मस्जिद की दीवार पर चस्पा कर दी गई है। विश्व हिन्दू परिषद (VHP) प्रवक्ता ने मस्जिद प्रशासन के इस फैसले की आलोचना की है। वहीं मस्जिद प्रशासन ने अपने फैसले को जायज ठहराया है। बता दें कि, जामा मस्जिद दिल्ली के चाँदनी चौक इलाके में लाल किले के नजदीक स्थित है।
जामा मस्जिद में अब लड़कियों के अकेले प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके लिए जामा मस्जिद प्रशासन की ओर से आदेश जारी किया गया है तथा मस्जिद के गेट पर पट्टी लगाई गई है जिसमें लिखा गया है कि मस्जिद में लड़कियों का अकेले दाखिल करना मना है। pic.twitter.com/kcKbZg8GnY
— Nadiena Khairunnsa (100% fb) (@Nadiena_ind) November 23, 2022
रिपोर्ट के अनुसार, यहां लड़कियों के अकेले प्रवेश न करने का फरमान मस्जिद के 3 ओर लगा दिया गया है। ये आदेश हिंदी और उर्दू में लिखा गया है। धातु की इन पट्टियों पर काले रंग से लिखा गया है, 'जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिल होना मना है।' यह आदेश जामा मस्जिद दिल्ली कार्यालय द्वारा दिया गया है। इसके साथ ही इसमें ‘projmd2000@gmail.com’ नाम से एक ई मेल ID भी लिखी हुई है। ख़बरों के अनुसार, मस्जिद प्रशासन के इस फैसले की कई जगह आलोचना भी हो रही है।
मुस्लिम समुदाय की ही सामाजिक कार्यकर्ता शहनाज अफजल ने इस फरमान का पुरजोर विरोध करते हुए इसे गैर-संवैधानिक करार दिया है। उन्होंने इसे बराबरी के अधिकार के खिलाफ बताया है। शहनाज़ का कहना है कि, इस फैसले को कतई कबूल नहीं किया जाएगा, क्योंकि ऐसे आदेश देने वाले लड़कियों के समानता के अधिकार को छीनना चाहते हैं। वहीं, VHP प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी जामा मस्जिद प्रशासन के इस फैसले की निंदा की है।
तीन तलाक, हलाला, हिजाब और काले बोरे में कैद रखने वाले जिहादी ठेकेदार मुस्लिम बेटियों को व्यभिचार के अड्डे बनते मदरसों में भेजने की तो वकालत करते हैं किन्तु, मस्जिदों के गेट पर लट्ठ लेकर खड़े हो जाते हैं..? pic.twitter.com/eT9XGaw0Jd
— विनोद बंसल Vinod Bansal (@vinod_bansal) November 23, 2022
VHP प्रवक्ता बंसल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'तीन तलाक, हलाला, हिजाब और काले बोरे में कैद रखने वाले जिहादी ठेकेदार मुस्लिम बेटियों को व्यभिचार के अड्डे बनते मदरसों में भेजने की तो वकालत करते हैं किन्तु मस्जिदों के गेट पर लट्ठ लेकर खड़े हो जाते हैं।' एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि, 'भारत को सीरिया बनाने की मानसिकता पाले ये मुस्लिम कट्टरपंथी ईरान की घटनाओं से भी सबक नहीं ले रहे। ये भारत है, जहाँ की सरकार का ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ’ का नारा है और जामा मस्जिद में नारी निषेध है?'
बता दें कि, इस तरह के आदेश अफगानिस्तान में भी देखने को मिल रहे हैं। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद वहां महिलाओं के अकेले पार्क जाने पर भी पाबन्दी लगा दी गई है, साथ ही कई जगहों पर लड़कियों की पढ़ाई पर भी रोक है। हैरानी की बात ये है कि, ये सबकुछ 'इस्लाम' के नाम पर किया जा रहा है और दुनियाभर के धार्मिक, मानवाधिकार तथा महिलाओं के लिए लड़ने वाले संगठन मौन हैं। अब यही कल्चर भारत में भी पैर पसारने लगा है, जिसका उदाहरण जमा मस्जिद के आदेश में देखने को मिला है।
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