चेन्नई: आतताइयों द्वारा लगातार ध्वस्त किए जाने के बाद भी भारत में आज वास्तु के मुताबिक, चमत्कृत कर देने वाले मंदिर स्थित है। उन्हीं में से एक है भगवान शिव को समर्पित तंजावुर या तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर जिसे 'बड़ा मंदिर' भी कहा जाता हैं। भारत की मंदिर शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है तंजावुर स्थित बृहदेश्वर मंदिर। सन 1987 में यूनेस्को ने इस भव्य मंदिर को विश्व धरोहर घोषित किया। राजाराज चोल प्रथम ने 1004 से 1009 ईस्वी सन् के दौरान यह मंदिर बनवाया था। चोल शासकों ने इस मंदिर को राजराजेश्वर नाम दिया था, किन्तु तंजौर पर हमला करने वाले मराठा शासकों ने इस मंदिर का नाम बदलकर बृहदेश्वर कर दिया।
आइए हम आपको इस अद्भुत मंदिर के 7 अविश्वसनीय रहस्य बताते हैं।
1- इस अद्भुत मंदिर का निर्माण इस तरह किया गया है कि जब सूरज इसके चारों तरफ घूम जाता है, उसके बाद भी इस मंदिर के गुम्बद की छाया जमीन पर नहीं पड़ती है। हालांकि, बाकी मंदिर की छाया जमीन पर पड़ती है।
2- आपको यह जानकार बेहद हैरानी होगी कि पिछले 1000 सालों से हर मौसम झेल रहा ये मंदिर, बिना किसी नींव के खड़ा हुआ है। यही नहीं जिन पत्थरों से ये बना है, उन्हें आपस में जोड़ने के लिए किसी तरह के ग्लू या चुने-सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है, बल्कि उन्हें पजल सिस्टम से एक दूसरे से ऐसे जोड़ा गया है कि वो कभी अलग नहीं हो सकते।
3- इस मंदिर के गुंबद पर करीब 88 टन (लगभग 80 हज़ार किलो) का एक पत्थर रखा गया है और उसके ऊपर एक स्वर्ण कलश रखा हुआ है। इसमें आश्चर्य की बात ये है कि 216 फुट की ऊंचाई पर ये पत्थर कैसे पहुँचाया गया होगा। वो भी उस समय, जब क्रेन या ऐसे कोई मशीन नहीं बनी थी, जो इतना वजन 216 फुट की ऊंचाई पर पहुंचा दे। हालांकि, ये कार्य कैसे किया गया, इसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय है।
4- इस मंदिर को ध्यान से देखने पर पता चलेगा कि शिखर पर सिंदूरी रंग पोता गया है या रंगा गया है, किन्तु यह रंग बनावटी नहीं बल्की पत्थर का प्राकृतिक रंग ही ऐसा है। यहां का हर पत्थर अनूठे रंग से रंगीन है।
5- यहां एक अद्भुत और विशालकाय नंदी स्थित है। एक बड़े चबूतरे के ऊपर विराजमान नंदी की प्रतिमा अद्भुत है। यहां स्थित नंदी की प्रतिमा भारतवर्ष में एक ही पत्थर को तराशकर निर्मित की गई नंदी की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है। यह 12 फुट लंबी, 12 फुट ऊंची और 19 फुट चौड़ी है। 25 टन वजन की यह प्रतिमा 16वीं सदी में विजयनगर शासनकाल में बनाई गई थी।
6- 13 मंजिला इस भव्य मंदिर को तंजौर के किसी भी कोने से देखा जा सकता है। मंदिर की ऊंचाई 216 फुट (66 मीटर) है और संभवत: यह दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर है। यह मंदिर तक़रीबन 240.90 मीटर लम्बा और 122 मीटर चौड़ा है। चेन्नई से 310 कि.मी. दूर स्थित है तंजावुर का यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर विगत 1000 वर्षों से आंधी-बारिश और मौसम के थपेड़े सहता हुआ भी अविचल और शान से खड़ा हुआ है।
7- इस मंदिर में प्रवेश करते ही एक 13 फीट ऊंचे शिवलिंग के दर्शन होते है। शिवलिंग के साथ एक विशाल पंच मुखी सर्प विराजित है जो फनों से शिवलिंग को छाया प्रदान कर रहा है।
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