तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि हिंदू मंदिरों में किसी भी पुजारी को उनकी सेवा से नहीं हटाया गया है और उनके स्थान पर किसी नए व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया गया है। विधानसभा में बोलते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार उस कानून को लागू कर रही है जिसके तहत प्रशिक्षित लोगों को राज्य के हिंदू मंदिरों में पुजारी के रूप में नियुक्त किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग सोशल मीडिया में सरकार के इस कदम को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई घटना होती है तो सरकार कार्रवाई करेगी।
दिवंगत मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के नेतृत्व वाली द्रमुक सरकार एक कानून लेकर आई थी, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति अपनी जाति के बावजूद राज्य द्वारा संचालित पाठ्यक्रम से गुजरने के बाद हिंदू मंदिर का पुजारी बन सकता है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। SC ने 2015 में तमिलनाडु सरकार के कानून को बरकरार रखा। स्टालिन के नेतृत्व वाली DMK सरकार ने हाल ही में चार दलितों सहित 24 गैर-ब्राह्मण पुजारियों को नियुक्ति के आदेश दिए।
सभी जातियों के उम्मीदवारों को मंदिर के पुजारी के रूप में नियुक्त करने के अपने चुनावी वादे को लागू करते हुए, द्रमुक सरकार ने पिछले सप्ताह विभिन्न समुदायों के 24 प्रशिक्षित पुजारियों को धर्मस्थलों में पुजारी नियुक्त किया। स्टालिन ने यहां 75 व्यक्तियों को हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के नियुक्ति आदेश सौंपे, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के तहत 208 पदों पर नियुक्तियां की गईं।
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