क्रिस्चियन स्कूल में बच्चों पर 'ईसाई' बनने का दबाव ! बच्चे रोकर बोले- हमें यहाँ से निकाल लो..

क्रिस्चियन स्कूल में बच्चों पर 'ईसाई' बनने का दबाव ! बच्चे रोकर बोले- हमें यहाँ से निकाल लो..
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चेन्नई: तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई के एक स्कूल पर हॉस्टल में रहने वाले बच्चों का जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के इल्जाम लग रहे हैं। हॉस्टल की जांच करने पहुंची राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग तमिलनाडु (SCPCR) की सदस्य डॉक्टर सरन्या जयकुमार ने कहा है कि चेकिंग के दौरान हॉस्टल संचालित करने का लाइसेंस भी नहीं मिला। बच्चों के बिस्तर के पास ईसाईयों की पवित्र किताब बाइबिल रखी हुई थी और दीवारों पर जीसस के चित्र लगे हुए थे।

डॉक्टर सरन्या जयुकमार (Dr Sarnya Jaikumar) ने जानकारी दी है कि 6 सितंबर 2022 को राज्य आयोग NCPR के अध्यक्ष और मैंने स्कूलों के लॉजर होम (हॉस्टल) की चेकिंग की थी। जब हम मायलापुर के सेंट एंथोनी स्कूल में उनके लॉजर होम पहुंचे तो वहां रहने वाले बच्चों काफी खुश थे। साथ ही लॉजर होम के संचालकों के पास सभी लाइसेंस भी मौजूद थे। उसके बाद जब हम CSI मोनाहन गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल के लॉजर होम पहुंचे, तो वहां जो देखा उसे देखकर दंग रह गए।

लॉजर होम में हर जगह गंदगी फैली हुई थी। हॉल में जो बिस्तर थे, वो बहुत ही गंदे थे साथ ही उन पर जंग भी लगी हुई थी। सभी बिस्तरों के पास बाइबिल रखी थी और दीवारों पर जीसस के चित्र थे। लॉजर होम में फैली गंदगी को देख कर मुझे लगा की यह जगह बच्चों के रहने योग्य तो बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि, ईसाई संस्थाओं में बच्चों को बालों पर फूल लगाने और बिंदी-झुमके लगाने पर रोक है। मगर, मोनाहन गर्ल्स हायर सेकेंडरी में जो माहौल था, वो बेहद हैरान कर देने वाला था। जब हम स्कूल के बच्चों से मिले तो रो पड़े और कहने लगे कि उन्हें यहां नहीं रहना। बच्चों ने हमें लिखित में दिया है कि उन्हें स्कूल में प्रताड़ित किया जाता है।

बच्चों ने यह भी बताया है कि, वे यहां बिल्कुल खुश नहीं है। उन्हें सप्ताह में सिर्फ एक मिनट के लिए घर वालों से बात करने की अनुमति है। उस दौरान भी फोन का स्पीकर चालु रहता है और एक लॉजर होम का वार्डन उस दौरान वहां मौजूद रहता है। हमें अपने माता-पिता से भी नहीं मिलने दिया जाता है। हमारे पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं हैं और पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिलता। स्कूल के अंदर शौचालयों के दरवाजे नहीं है। 

डॉक्टर सरन्या ने बताया है कि वहां की स्थिति देखकर ऐसा लगा कि अगर बच्चे बीमार पड़ते हैं तो लॉजर होम वालों के पास उचित मेडिकल सर्विस भी नहीं है। इसलिए हमने फ़ौरन फैसला किया कि इन बच्चों को बचाने की आवश्यकता है। हमने राज्य प्राधिकरण तक पहुंचने का प्रयास किया, मगर  किसी से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जिसके बाद हमने फ़ौरन ही राष्ट्रीय आयोग को इस संबंध में जानकारी दी है। 

इस घटना के सामने आने के बाद राज्य आयोग ने सभी कलेक्टर्स को पत्र भेजकर स्कूलों को नोटिस भेजने को कहा है। सभी स्कूल अपने हॉस्टल का संचालन के लिए नियमानुसार पंजीकरण कराएं। अगर, यह गरीब बच्चों के लिए नि:शुल्क छात्रावास है, तो इसे NGO की तरफ से चलाया जाना चाहिए और इसे किशोर न्याय अधिनियम के तहत CCI के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। डॉक्टर सरन्या ने कहा कि, 6 सितंबर को हम लोग स्कूल का फिजिकल इंस्पेक्शन करके आए हैं। शुक्रवार 9 सितंबर को मेरे पास एक रैंडम नंबर से फोन  आया। मुझसे बात करने वाले इस बच्चे ने कहा कि, मेरी मां को अभी हॉस्टल आने और लिखित में देने को कहा गया है कि यह एक सुरक्षित स्थान है। मुझे  हॉस्टल में रहने के लिए विवश किया जा रहा है। एक और बच्चे का फोन आया था जो फोन पर रोकर खुद को यहां से निकालने के लिए कह रहा था। 

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