नई दिल्ली : दिल्ली के जंतर मंतर पर तमिलनाडु के किसान बीते 38 दिनों से फसलों की बर्बादी, आर्थिक नुकसान, कर्जा माफ करने आदि को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। मगर अब तक सरकारों, नेताओं और नौकरशाहों से किसी भी तरह की सरकारात्मक पहल न होने से ये मायूस हो गए हैं और अब उन्होंने अपने आंदोलन के तहत मूत्र पीकर विरोध दर्ज किया है। ये किसान आत्महत्या का भी विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में किसान आत्महत्या को लेकर राज्य सरकार से नाराजगी जाहिर की थी। न्यायालय ने माना था कि किसानों की हालत चिंताजनक है।
न्यायालय ने राज्य सरकार को कहा था कि वह किसानों की स्थिति को लेकर गंभीरता से कार्य करे। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में 13 अप्रैल को सुनवाई करते हुए सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा था। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपनी मांगों को लेकर शनिवार को किए प्रदर्शन के दौरान कहा कि कहा कि यदि उनकी मांगों को लेकर ध्यान नहीं दिया गया तो फिर वे रविवार को मानव मल का भक्षण करेंगे।
गौरतलब है कि किसानों द्वारा किसान आत्महत्या का विरोध किया गया था। ये किसान अपने साथ खोपड़ियां लेकर आए हैं जिसके माध्यम से वे खोपड़ी प्रदर्शन कर रहे हैं। कथित तौर पर ये उन किसानों की खोपड़ियां हैं जो किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार इनकी परेशानियों का हल करे।
शनिवार को किसानों ने विरोध का अनूठा तरीका अपनाया, जिसके तहत इन किसानों ने प्लास्टिक की बोतलों में मानव मूत्र भरा और फिर उसे पी लिया। किसानों ने विरोध स्वरूप कहा कि हम प्यासे हैं, हालात ये हैं कि आज हम मूत्र पीने के लिए मजबूर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारी मांगें नहीं सुन रहे हैं। तमिलनाडु में तो पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं हो रहा है।
किसानों की कर्ज माफी से GDP पर हो सकता है असर