चेन्नई: तमिलनाडु में ईसाई धर्मांतरण का विरोध करने पर लावण्या नामक एक छात्रा को स्कूल मिशनरियों द्वारा इतना प्रताड़ित किया गया, कि उसे ख़ुदकुशी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP)’ इस मामले में लगातार आवाज़ उठा रही है और तमिलनाडु में इसके पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। ABVP ने आरोप लगाते हुए कहा कि लावण्या आत्महत्या मामले में विरोध प्रदर्शन कर रहे उसका कार्यकर्ताओं को तमिलनाडु पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। अरेस्ट किए गए ABVP कर्यकर्ताओं में संगठन की राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी निधि त्रिपाठी भी शामिल हैं। ये सभी लोग चेन्नई में लावण्या आत्महत्या मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
DMK Govt. of Tamil Nadu used police to arrest the National Gen. Secy. Nidhi Tripathi & other Karyakartas for demanding #JusticeForLavanya in Chennai.
— ABVP (@ABVPVoice) February 14, 2022
We condemn this attempt by DMK led Govt., You can't suppress our voice by using police. We will fight till Lavanya gets justice. pic.twitter.com/snpaWmRZ4g
ABVP ने कहा कि सूबे की सत्ताधारी ‘द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK)’ के कहने पर ये कार्रवाई हुई है। ABVP ने कहा कि, 'हम DMK के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा की गई इस कार्रवाई की निंदा करते हैं। आप पुलिस का इस्तेमाल कर के हमारी आवाज़ों को नहीं दबा सकते। जब तक लावण्या को इन्साफ नहीं मिल जाता, हम ये लड़ाई लड़ते रहेंगे।' निधि त्रिपाठी समेत अन्य ABVP कार्यकर्ताओं ने तमिलनाडु सरकार का पुतला दहन कर के अपना विरोध प्रकट किया। इस गिरफ़्तारी को ‘गैर-कानूनी’ बताते हुए नई दिल्ली के चाणक्यपुरी के कौटिल्य मार्ग स्थित ‘तमिलनाडु हाउस’ के सामने मंगलवार (15 जनवरी, 2022) को विरोध प्रदर्शन का प्लान बनाया गया है।
ABVP ने इसे DMK सरकार का ‘संवेदनहीन और तानाशाही’ रवैया करार देते हुए कहा कि वो इसकी कड़ी निंदा करता है। ये लोग सीएम एमकेस्टालिन के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं, सर्वोच्च न्यायालय ने लावण्या ख़ुदकुशी मामले में मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले में दखल देने से मना कर दिया है। तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें लावण्या ख़ुदकुशी मामले की जाँच CBI से करवाने के लिए कहा गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से इस मामले को ‘प्रतिष्ठा का विषय’ न बनाने के लिए भी कहा। कोर्ट ने यह भी कहा कि, 'इस केस में बहुत कुछ हुआ है, जांच जरुरी है।'
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