गजब की निष्पक्षता ! उदयनिधि पर टिप्पणी करने के मामले में नेता महेश गिरफ्तार, क्या 'सनातन' को गालियां देना सेक्युलर पार्टियों का अधिकार ?

गजब की निष्पक्षता ! उदयनिधि पर टिप्पणी करने के मामले में नेता महेश गिरफ्तार, क्या 'सनातन' को गालियां देना सेक्युलर पार्टियों का अधिकार ?
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चेन्नई: तमिलनाडु के अरानी में एक हिंदू मुन्नानी नेता को DMK मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी DMK जिला प्रमुख एसी मणि द्वारा अरानी पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत के मद्देनजर हुई, जिन्होंने हिंदू मुन्नानी नेता महेश पर 22 सितंबर को आयोजित विनायक चतुर्थी समारोह के दौरान आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगाया था। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने लगभग 20 दिन पहले सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया बताते हुए पूरी तरह ख़त्म करने का आह्वान किया था। 

जिसको इतने दिन बीत चुके हैं और कई पूर्व न्यायाधीश और नौकरशाह (262 गणमान्य नागरिकों) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उदयनिधि के बयान पर स्वतः संज्ञान लेने और कार्रवाई करने का आग्रह किया था। लेकिन, आज तक न तो तमिलनाडु पुलिस ने और न ही सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि के खिलाफ कोई कार्रवाई की है। क्या निष्पक्ष और सेक्युलर पार्टियों का काम करने का यही तरीका होता है ? उदयनिधि के बयान के बाद उनके खिलाफ लोगों का आक्रोश है ही, कई दिनों के बाद भी कार्रवाई न होने के कारण लोगों में ये गुस्सा और बढ़ गया है। आग में घी का काम किया, कार्ति चिदंबरम, लक्ष्मी रामचंद्रन और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे जैसे नेताओं के बयानों ने, जिन्होंने खुलेआम उदयनिधि के विवादित बयान का समर्थन किया। DMK के एक और नेता ए राजा ने सनातन धर्म को 'HIV एड्स' कहा। DMK मंत्री पोनमुडी ने कहा कि, I.N.D.I.A. गठबंधन का गठन ही सनातन धर्म के विरोध और उसे खत्म करने के लिए हुआ है। इस पर I.N.D.I.A. गठबंधन के तमाम बड़े नेताओं की चुप्पी को सनातन के खिलाफ उनका मौन समर्थन माना गया। 

विवाद बढ़ने के बाद उदयनिधि ने सफाई दी कि, वे जातिवाद खत्म करने का बोल रहे थे, हालाँकि, उनके शब्दों में कहीं भी जातिवाद नहीं था, 'सनातन धर्म' था और उन्होंने धर्म को ही पूरी तरह ख़त्म करने की बात कही थी। जातिवाद ख़त्म करने की बात तो कई नेता कहते हैं, खुद महात्मा गांधी भी कहते थे, जिन्हे देश राष्ट्रपिता मानता है, इसमें कुछ भी विवादित नहीं। लेकिन, वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है) के सिद्धांत पर चलने वाले दुनिया के प्राचीन धर्मों में से एक धर्म को लक्षित करके उसके 'समूल नाश' का आह्वान करना यदि किसी को विवादित नहीं लगता है, तो उनकी समझ को क्या ही कहा जाए। 

आपको नूपुर शर्मा मामला याद होगा, जिन्होंने भगवान शिव का अपमान सुनकर पैगम्बर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर दी थी, उसके बाद सड़कों पर हज़ारों लोगों ने 'सर तन से जुदा' के नारे लगाए, कइयों ने उन्हें सामूहिक बलात्कार, हत्या आदि की धमकी दी थी, और भद्दी-भद्दी गालियां दी थी, लेकिन क्या किसी टिपण्णी करने वाले की गिरफ्तारी हुई ? नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने भी केवल नूपुर को ही लताड़ा, शिवलिंग को प्राइवेट पार्ट कहने वाले मौलाना इलियास सर्फुद्दीन पर किसी ने एक शब्द नहीं कहा। यही बातें न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं और तथाकथित सेक्युलर पार्टियों को बेनकाब करती हैं    

अब उदयनिधि के बयान से आहत होकर उनपर विवादित टिप्पणी करने के मामले में हिंदू मुन्नानी नेता महेश को अरानी पुलिस के अधिकारियों ने उनके आवास पर हिरासत में ले लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। मीडिया से बातचीत में महेश ने कहा है कि, ''उन्होंने केवल सनातन धर्म पर अपनी टिप्पणी के लिए मंत्री उदयनिधि स्टालिन से माफ़ी मांगने के लिए ही कहा था।'' बकौल महेश, ''मंच पर अपने भाषण के दौरान, मैंने उदयनिधि को अपने लिए माफी मांगने की आवश्यकता पर जोर दिया था। मैंने उनके खिलाफ धारा 302 के तहत कानूनी कार्रवाई का भी आह्वान किया था, क्योंकि उदयनिधि ने अपने बयानों में 'उन्मूलन' (सनातन को नष्ट करना) शब्द का इस्तेमाल किया था।'' हालाँकि, उदयनिधि को सनातन धर्म को अपमानित करने का पूरा अधिकार है, लेकिन महेश के खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और भड़काऊ भाषण देने के आरोप में केस दर्ज कर लिया गया है और वे पुलिस की गिरफ्त में हैं। शायद भारत में सनातन या हिन्दू धर्म को गालियां देना ही सेकुलरिज्म (धर्मनिरपेक्षता) है और इसका विरोध करना 'नफरत' फैलाना। जिसके लिए आप पर कार्रवाई भी हो सकती है।  

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