नई दिल्ली: दिग्गज सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के लिए टाटा सन्स की बोली को स्वीकार कर लिया गया है. आधिकारिक ऐलान किसी भी समय हो सकता है. अब सबसे बड़ा सवाल मन में यह आता है कि एयर इंडिया में नौकरी करने वाले सरकारी कर्मचारियों का क्या होगा? क्या उनकी नौकरी बनी रहेगी या उसमें किस तरह का परिवर्तन होगा? उन्हें मिलने वाली तमाम सुविधाओं का क्या होगा?
बताया जा रहा है कि एयर इंडिया के नए मालिक टाटा ग्रुप को शुरु में कई समस्याओं का सामना करना होगा. सरकार एयर इंडिया में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है. एयर इंडिया एक इंटरनेशनल कैरियर है. इसके साथ ही इंडियन एयरलाइन और एयर इंडिया एक्सप्रेस, में भी सरकार विनिवेश कर रही है. इंडियन 2007 के विलय के बाद इंडियन एयरलाइन्स का नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया था. Air India Express की शुरुआत 2005 में की गई थी और यह मुख्य तौर पर केरल और खाड़ी देशों को आपस में जोड़ती है. इन तीन एयरलाइन के अतिरिक्त सरकार एयर इंडिया SATS एयरपोर्ट सर्विसेज में भी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है.
बता दें कि एयर इंडिया फ्लीट में 1500 ट्रेन्ड पायलट और 2000 से अधिक एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स काम करते हैं. टाटा ग्रुप का वर्क कल्चर बहुत अच्छा है. इसके बाद भी प्राइवेट कंपनी और पब्लिक कंपनी में कामकाज का तरीका और स्टैंडर्ड बिल्कुल अलग होता है. विषेशज्ञों का कहना है कि टाटा सन्स को जितने कर्मचारी मिलेंगे, वे एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के हैं. ये दोनों पब्लिक सेक्टर की कंपनियां हैं. इसके बाद भी, दोनों के कामकाज, इंटर्नल प्रोसेस, ह्यूमन रिलेशन्स, वर्किंग कंडिशन, टाइमिंग और मेथड में बहुत फर्क है. टाटा ग्रुप को इस समस्या को अच्छे से मैनेज करना होगा.
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