नई दिल्ली : इसमें कोई शक नहीं कि केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार प्रहार करते हुए पहले नोटबंदी की और 500 और 1000 के नोट बंद किये . फिर बेनामी सम्पत्ति के खिलाफ मुहिम चलाई . इसके बाद कर चोरों को पकड़ने के लिए आयकर विभाग ने इंटरनेट की मदद लेना शुरू किया. सरकार ने बिग डाटा की मदद लेने के बाद टैक्स चोरों का पता लगाने के नियम भी बदल दिए. सन्देश साफ है कि टेक्स चोर बच नहीं पाएंगे.
आपको यह जानकर अचरज होगा कि विशेषज्ञों के अनुसार डाटा विश्लेषक किसी के भी आय या निवेश का पता लगाकर सिस्टम पर सामने ला सकता है. इस नए नियम से टैक्स अधिकारियों को बैंकिंग, इंश्योरैंस और स्थानीय निकायों में जमा किए गए डाटा का इस्तेमाल टैक्स चोरों का पता लगाकर छिपे या लापता टैक्स चोरों को उनके पते पर इन्कम टैक्स नोटिस भेजकर उनसे टैक्स की मांग की जा सकेगी.
बता दें कि कर चोरी पकड़ने के लिए सरकार एक डाटाबेस तैयार कर रही है, जिसमें कम्पनियों और उनके प्रोमोटरों की कमाई को उनकी ओर से फाइल को जी.एस.टी. रिटर्न से मिलाया जा सकेगा . इसके अलावा कर चोरी को सोशल मीडिया के जरिए भी पकड़ा जाएगा.इसमें रोबो ऑडिट्स के जरिए हर व्यक्ति पर नजर रखी जाएगी. इसमें कम्प्यूटर्स थर्ड पार्टी डाटा के साथ आपके टैक्स सूचनाओं से मिलान कर सकते हैं. यानी अगर आपने सोशल मीडिया पर अपनी नई कार का फोटो डाला तो टैक्स अधिकारी आपको पकड़ लेंगे.
भारत में खेती से होने वाली आय पर टैक्स नहीं लगता है, लेकिन कुछ लोग काले धन को सफेद करने के लिए इस छूट का फायदा उठाते हैं. झूठी खेती करने की जानकारी बताई जाती है .ऐसे झूठे लोगों को पकड़ने के लिए आयकर विभाग अब इसरो से उस जमीन का उस समय का सैटेलाइट चित्र मंगवाएगा जिस पर जिस समय फसल उगाने का दावा किया गया था. इससे उसकी पोल खुल जाएगी .
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