लॉकडाउन के चलते कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है. वहीं, उद्योगों से सरकार हर साल टैक्स-शुल्क, ड्यूटी के नाम पर करोड़ों रुपये की राशि लेती है, लेकिन लॉकडाउन जैसी विपरीत परिस्थितियों में राहत के नाम पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है. जिसे राहत बताया जा रहा है, दरअसल वह राहत नहीं, बल्कि लोन या भुगतान की समयसीमा में वृद्धि है. लिहाजा, लॉकडाउन में उद्योग बंद होने के बाद भी उस अवधि के टैक्स, शुल्क में राहत या बिजली का उपभोग नहीं करने पर फिक्स्ड चार्ज की वसूली को लेकर कोई फैसला नहीं लिए जाने से उद्योगपतियों में आक्रोश है और वे श्रम कानूनों की तरह टैक्स नीति में बदलाव चाहते हैं.
दरअसल, पीथमपुर औद्योगिक संगठन, धार के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने कहा है कि सरकार उद्योगों को राहत तो दे रही है, लेकिन जैसे कोई इकाई बैंक लोन लेगी तो राज्य सरकार उस पर पूरी राशि पर आधा फीसदी स्टाम्प ड्यूटी लगा देगी. इससे जितनी राहत दी जाएगी, वह ड्य़ूटी के रूप में वापस भी ले ली जाएगी.
बता दें की उद्योगपति सीपी शर्मा ने इस बारें में कहा कि सरकार को उद्योग ईएसआई के रूप में बड़ी राशि जमा करते हैं. इसका करीब 84 हजार करोड़ रुपये जमा है, जिसमें से औद्योगिक इकाइयों के कर्मचारियों को लॉकडाउन अवधि की तनख्वाह दे दी जाए तो उद्योगों को काफी राहत मिलेगी. गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एसके पाली ने कहा कि सरकार के लिए उद्योग दुधारू हैं, लेकिन उसकी जरूरतों की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है. कुछ फिक्स चार्ज हैं, जिनमें परिवर्तन की जरूरत है. इस पर सरकार को जल्द विचार करना चाहिए.
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