पटना: बिहार के डिप्टी सीएम और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना पर आज गुरुवार (4 मई) को पटना उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने पर कहा कि 'यह जातीय जनगणना नहीं है, बल्कि जाति आधारित सर्वे है। यह सरकार का न तो आखिरी और न ही पहला सर्वे है।' तेजस्वी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई में हमारी सरकार इस काम को कराने के लिए प्रतिबद्ध है। यह लोगों के हित में था और लोगों की मांग भी थी।
डिप्टी सीएम ने कहा कि यह सर्वे होना ही चाहिए। हमारी सरकार की इच्छा थी गरीबी दूर करना, पिछड़ापन दूर करना। सर्वे में समाज के आखिरी पायदान तक सरकार की योजनाओं और उसका फायदा कैसे पहुंचे, गरीबों को कैसे इसका लाभ मिले, यह सब उसमें शामिल था। लोगों की आर्थिक स्थिति क्या है, यह भी पता लगाना था। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि यह सर्वे जाति को लेकर नहीं था, बल्कि सबके लिए था। पटना हाई कोर्ट का जो आदेश आया है, उसका अध्ययन किया जाएगा, पढ़ा जाएगा, देखा जाएगा। इसके साथ ही तेजस्वी ने आरोप लगाया कि, भाजपा शुरू से गरीब विरोधी और आरक्षण विरोधी रही है। आज वह खुशी मना रही होगी।
तेजस्वी ने कहा कि फैसला देखने के बाद, आज नहीं तो कल यह कराना ही है। चाहे कहीं की भी सरकार हो। इसके बगैर न प्रदेश आगे बढ़ सकता है, न तरक्की हो सकती है और न ही पिछड़ापन दूर हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ने इंकार कर दिया, तो हम लोग अपने ही संसाधनों से इसे करा रहे थे। इससे यह पता चलता कि कौन गरीब है, किस जाति की क्या आर्थिक स्थिति है, क्या व्यवसाय है, क्या काम करते हैं, यह सब पता चलता तो उसके हिसाब से उसको सरकारी फायदा पहुंचाया जाता।
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