नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार (13 फ़रवरी) को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत को रद्द कर दिया, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर गुजरातियों को बदनाम करने के उद्देश्य से की गई कुछ टिप्पणियों को वापस ले लिया था। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मानहानि के मुकदमे को गुजरात के बाहर की अदालत में स्थानांतरित करने के लिए यादव द्वारा दायर याचिका पर आदेश पारित किया।
अदालत ने कहा कि, "याचिकाकर्ता द्वारा रिकॉर्ड पर अपना बयान वापस लेने और माफ़ी मांगने के मद्देनजर हमने मामले को रद्द कर दिया है। तदनुसार निपटारा किया गया।" यादव के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत तब दायर की गई थी जब उन्होंने यह टिप्पणी की थी कि "केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं।" अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी और अपराध निवारक परिषद नामक संगठन के उपाध्यक्ष हरेश मेहता द्वारा गुजरात के अहमदाबाद में एक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष शिकायत दर्ज की गई थी।
मेहता ने कहा कि यादव की टिप्पणी से गुजरातियों को "मानसिक और शारीरिक नुकसान" हुआ और उन्होंने मजिस्ट्रेट अदालत से यादव को बुलाने का आग्रह किया। आरोपी बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने अंततः मानहानि के मुकदमे को गुजरात से 'तटस्थ स्थान' पर स्थानांतरित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने यादव की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कार्यवाही पर रोक लगा दी।
बाद में, अदालत ने राजद नेता से पूछा कि क्या वह संबंधित टिप्पणी वापस लेने के इच्छुक हैं, और उस संबंध में एक विशिष्ट बयान देने को कहा। इस पर तेजस्वी ने कहा था कि वो माफी माँगने के लिए तैयार हैं। चूंकि यादव ने अब अपनी टिप्पणी वापस लेकर माफ़ी मांग ली है, इसलिए अदालत ने आज उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को रद्द कर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अधिवक्ता वरुण जैन, नवीन कुमार, अखिलेश सिंह और राधिका गोयल के साथ तेजस्वी यादव की ओर से पेश हुए थे।
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