पटना : भले जो कहा जाये पर लालू-राबड़ी के बेटो में सब कुछ थी नहीं चल रहा है. राष्ट्रीय जनता दल के सिपहसालार ये दोनों यादव पुत्र फ़िलहाल मनमुटाव की बातों को लेकर सुर्खियों में है. तेज प्रताप यादव ने पार्टी में अपनी अनदेखी तथा इसमें असामाजिक तत्वों के शामिल होने की बात से असंतोष भर दिया है. तेज वैसे कभी खुल कर अपने हक़ के लिए नहीं बोले.
महागठबंधन सरकार के दौरान डिप्टी सीएम और बिना सत्ता के भी विपक्ष में किसी बड़े पद को लेकर कभी कुछ नहीं बोले बल्कि तेजस्वी को ही आगे कर सपोर्ट करते रहे. मगर धार्मिक और भावुक तेज प्रताप किसी बात को दिल से लगा बैठे है जसका खुल कर किसी के सामने इजहार भी नही कर रहे है.
तेजस्वी यादव ने सफाई दी कि राजेंद्र पासवान को पार्टी में पद देने की तेज प्रताप की पैरवी सुनने में देर इसलिए हुई कि वह पार्टी के संविधान के मुताबिक नहीं थी. बात चाहे जो भी हो मगर तेजप्रताप राजनीति के उन लोगों में शुमार है जो चिकने चुपड़े भाषण की जगह दिल की आवाज को बयान बनाते रहे है. और इसी कारण मौजूदा धुएँ के पीछे की आग के कयास लगाए जाना गलत नहीं है.
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