तेलंगाना में बीते कई दिनों से राजनीतिक उठापटक बढ़ गई है. राज्य में ग्राम राजस्व अधिकारी (वीआरओ) प्रणाली को समाप्त करने का फैसला विरोधी दलों द्वारा कड़ी आपत्ति के तहत आया है, जिन्होंने कहा कि यह एक ' एकतरफा फैसला ' है. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि सरकार को इस बात को खत्म कर देना चाहिए क्योंकि इससे राजस्व प्रशासन में और बाधाएं पैदा होंगी. पूर्व ने कहा कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार को वीआरओ के पदों और नए राजस्व अधिनियम की अन्य रूपरेखा को खारिज करने पर विरोधी दलों और अन्य सभी हितधारकों पर चर्चा करनी चाहिए थी.
कांग्रेस नेताओं ने जोर देकर कहा कि टीआरएस अपनी तरफ से बुलडोजर चला रही है क्योंकि उसके पास विधानसभा में बहुमत है. "जब इस तरह का महत्वपूर्ण कानून लाया जा रहा है, तो सरकार को विपक्ष से परामर्श करना चाहिए था. उन्होंने कहा, अगर मौजूदा व्यवस्था में कोई खामियां थीं तो सरकार इसे नई व्यवस्था के साथ बदलने के बजाय सुधार सकती थी. इस दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंडी संजय कुमार ने इस कदम को निरर्थक बताया. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव राजस्व प्रणाली के आधार पर वीआरओ पदों को खत्म करके फिर से जमींदारों का पक्ष लेने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले भू-अभिलेखों के व्यापक सर्वेक्षण के नाम पर जमींदारों का समर्थन किया था. पार्टी ने विपक्षी दलों, सेवानिवृत्त राजस्व अधिकारियों और विशेषज्ञों को शामिल कर राजस्व प्रणाली में अभीष्ट प्रणालीगत बदलावों का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने को कहा. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राज्य सचिव चड्डा वेंकट रेड्डी ने भी वीआरओ प्रणाली को खत्म करने के एकपक्षीय फैसले के लिए केसीआर सरकार की खिंचाई की.
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