हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सार्वजनिक रूप से अपने बयान पर खेद जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि उन्हें भारत की न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास है और उनके बयान से यदि ऐसा लगा कि वे न्यायपालिका पर सवाल उठा रहे हैं, तो वह इसके लिए खेद प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि वे हमेशा न्यायपालिका का सम्मान करते रहेंगे।
रेड्डी ने इससे पहले भाजपा और बीआरएस के बीच कथित सौदेबाजी का संकेत दिया था, जो कविता की जमानत से संबंधित था। इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताई और कहा कि ऐसे बयानों से जनता के मन में न्यायपालिका को लेकर संदेह पैदा हो सकते हैं। जस्टिस बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने रेवंत रेड्डी के बयान पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए, क्योंकि इससे लोगों के मन में न्यायपालिका के प्रति आशंका उत्पन्न हो सकती है। पीठ ने यह भी सवाल उठाया कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में अदालत को क्यों घसीटा जा रहा है और यह स्पष्ट किया कि न्यायालय अपने फैसले किसी राजनीतिक दल के कहने पर नहीं करता।
यह मामला 2015 के ‘नकद के बदले वोट’ घोटाले से संबंधित है, जिसमें रेवंत रेड्डी एक आरोपी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए विशेष अभियोजक नियुक्त करने की बात कही है। मामले की सुनवाई के दौरान, रेवंत रेड्डी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने माफी मांगी और अदालत से गलती सुधारने का अनुरोध किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है और नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर वे सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं करते, तो मामले की सुनवाई कहीं और करवा सकते हैं।
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