क्यों डाउनलोड स्पीड की गारंटी नहीं देती टेलीकॉम कंपनियां

क्यों डाउनलोड स्पीड की गारंटी नहीं देती टेलीकॉम कंपनियां
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डेटा की तेज स्पीड और बफरिंग से निजात की मांग कंज्यूमर्स भले ही उठाते रहें, इस मामले में उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने वाला है, भले ही वे इसके लिए ज्यादा पैसे चुकाने को तैयार हों. सरकार मोबाइल ब्रॉडबैंड के लिए मौजूदा नियम बदलने की स्थिति में नहीं है, जिसमें मिनिमम 512 केबीपीएस स्पीड की शर्त रखी गई है. दूरसंचार कंपनियों और एक्सपर्ट्स का कहना है कि टेक्निकली मिनिमम स्पीड तय करना संभव नहीं है, न ही दुनिया के किसी भी देश में और न तो भारत में ये हो सकता है.

राजन मैथ्यूज जो सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल ने कहा, 'मल्टी-प्वाइंट मोबाइल नेटवर्क में किसी भी प्वाइंट पर भारत या दुनियाभर में कोई भी नेटवर्क ऑपरेटर किसी मिनिमम डाउनलोड स्पीड की गारंटी नहीं दे सकती है.' कई कंपनियां इस एसोसिएशन की मेंबर इस वोडाफोन-आइडिया, भारती एयरटेल और रिलायंस जियो सहित हैं.

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असल नेटवर्क स्पीड मैथ्यूज ने कहा कि कंज्यूमर को जो मिलती है, वह कवरेज, नेटवर्क लोड, यूसेज, सेल में यूजर की लोकेशन, इस्तेमाल किए जा रहे एप्लिकेशन और डिवाइस सहित कई चीजों पर निर्भर करती है. ओपनसिग्नल और ओकला जैसी थर्ड पार्टी स्पीड टेस्टिंग एजेंसियां इस मामले में दूरसंचार कंपनियों की राय से सहमत हैं. उनका कहना है कि डेटा स्पीड की गारंटी देना भारत और विदेश में एक मसला बना हुआ है.ओपनसिग्नल के प्रवक्ता ने कहा, 'कोई भी ऑपरेटर हर वक्त अपने सभी यूजर्स को एलटीई (4जी) कनेक्शन देने में कामयाब नहीं रहा है, यहां तक कि बेहद मैच्योर मोबाइल मार्केट्स में भी. इससे आप समझ सकते हैं कि नेटवर्क स्पीड की गारंटी देना लगभग असंभव है.' ओपनसिग्नल के डेटा के हवाले से प्रवक्ता ने 4जी अवेलेबिलिटी और स्पीड के बारे में यह बात कही.

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मोबाइल यूजर एक्सपीरियंस में स्मार्टफोन की क्वॉलिटी जैसे मसलों का भी अहम रोल होता है, खासतौर से वीडियो स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन गेमिंग, लाइव मेसेजिंग और वीडियो कॉलिंग में. हालांकि, कंज्यूमर्स का मानना है कि मिनिमम स्पीड लेवल की तो बात ही छोड़ दें, दूरसंचार कंपनियां जिस इंटरनेट स्पीड का वादा करती हैं, वे उसे भी पूरा नहीं करतीं. दिल्ली में एक कंज्यूमर एडवोकेसी ग्रुप के हेड अरुण कुमार ने कहा, 'वे बेसिक मिनिमम स्पीड दे सकती हैं, लेकिन ऐसा करना नहीं चाहतीं. सिस्टम पर लोड होने या सब्सक्राइबर्स की संख्या ज्यादा होने पर स्पीड कम हो जाती है. ऐसा नहीं होना चाहिए। हम दिनरात एकसमान स्पीड चाहते हैं क्योंकि हम तो दूरसंचार कंपनियों के प्लान के मुताबिक पैसा दे रहे हैं.'उन्होंने कहा कि अगर दूरसंचार कंपनियां दिन के किसी वक्त वादे के मुताबिक स्पीड मुहैया नहीं करा पातीं तो उन्हें उस समय के लिए कंज्यूमर्स से पैसा नहीं लेना चाहिए. ओकला के स्पीड टेस्टिंग डेटा से पता चला कि भारत में मोबाइल इंटरनेट स्पीड 2018 के मुकाबले 20 प्रतिशत बढ़कर 2019 में 10.71 एमबीपीएस हो गई, लेकिन दुनिया के स्तर पर स्पीड रैंकिंग में भारत 121 से गिरकर 112वें पायदान पर आ गया क्योंकि डेटा स्पीड तेजी से दूसरे देशों में बढ़ी.

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