निवाड़ी: मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के ओरछा में रामलोक का निर्माण हो रहा है, जिसके कारण मंदिर के आस-पास खुदाई की जा रही है। खुदाई के चलते 500 वर्ष पुराने अवशेष प्राप्त हुए हैं। पुराने अवशेष प्राप्त होने की खबर के पश्चात् से ही पुरातत्व विभाग के अफसर अपनी देख-रेख में मजदूरों से आगे की खुदाई करवा रहे हैं। बहुत संभाल कर ये खुदाई की जा रही है। पुरातत्व विभाग के अफसरों ने ही जांच के पश्चात् बताया है कि ये अवशेष लगभग 500 वर्ष पुराने हैं।
रामराजा सरकार की नगरी और छोटी अयोध्या के नाम से लोकप्रिय ओरछा में विधानसभा चुनाव के पहले पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान आए थे। उन्होंने ओरछा में रामराजा लोक निर्माण का ऐलान किया था। तत्पश्चात, रामलोक निर्माण का कार्य आरम्भ किया गया। निर्माण के चलते पुरानी ऐतिहासिक इमारतों को रेनॉवेट करने का काम चल रहा है। साथ ही रामराजा मंदिर के नजदीक नवनिर्माण भी किया जाना है। इसी के चलते राज महल के सामने नदी के किनारे बनी पार्किंग के पास मशीनों से खुदाई का काम चल रहा था। मशीनों की खुदाई में एक छोटे मंदिर नुमा आकृति दिखाई दी, इसकी खबर तुरंत पुरातत्व विभाग के अफसरों को दी गई। पुरातत्व विभाग के अफसर मौके पर पहुंचे तथा तुरंत मशीनों से हो रही खुदाई पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। मशीनों से काम बंद हुआ तो आगे की खुदाई पुरातत्व विभाग के अफसरों ने अपनी देख-रेख में करवाई। फिलहाल मजदूरों से काम करवाया जा रहा है। आकृति के आस-पास खोदा तो एक और बरामदा मिला है।
पुरातत्व विभाग के अफसरों ने बताया कि फिलहाल काम रोक दिया गया है, अब एक्सपर्ट की देख-रेख में आगे का कम मशीनों से नहीं हाथों से किया जाएगा। पूर्व में भी राजमहल में रेनोवेशन का काम चल रहा था तब यहां एक पूरी बस्ती के अवशेष प्राप्त हुए थे। इन पुरातात्विक धरोहरों के मिलने से अनुमान लगाया जा सकता है कि ओरछा बहुत पुराना और समृद्ध शहर रहा है। ओरछा नगरी में खुदाई के चलते मिल रहे इन अवशेषों से ओरछावासी भी बहुत गर्वित महसूस कर रहे हैं तथा बरामदे को देखने के लिए पहुंच रहे हैं। मध्य प्रदेश की अयोध्या माने जाने वाले ओरछा में प्रभु श्री राम की पूजा राजा के रूप में की जाती है। यहां पर राम राजा सरकार का दरबार है तथा उन्हें मंदिर में पुलिसकर्मी सुबह पट खुलने के पश्चात् सलामी देते हैं। इसके पश्चात् ही भक्तों को दर्शन का अवसर दिया जाता है। यहां से जुड़ी रामभक्त रानी कुंवर गणेश की कहानी के मुताबिक भगवान दिन में ओरछा से अपना राजपाट चलाते हैं तथा रात को अयोध्या में कनक भवन में जाकर विश्राम करते हैं।
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