श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सरकार ने राज्य में क्षतिग्रस्त मंदिरों की मरम्मत और उनकी जमीन की डिमार्केशन (सीमांकन) के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। इस समिति में जम्मू-कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर के साथ सभी 20 जिलों के डिप्टी कमिश्नर शामिल होंगे। समिति का कार्य होगा कि वे हर जिले में उन मंदिरों की सूची तैयार करें जो आतंकी हमलों, बाढ़, आगजनी या अन्य आपदाओं के कारण क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा, इन मंदिरों की जमीन का सीमांकन भी किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन पर किसका कब्जा है और उस जमीन को वापस मंदिर के ट्रस्ट को सौंपा जा सके।
यह निर्णय जम्मू के सामाजिक कार्यकर्ता गौतम आनंद की जनहित याचिका के बाद लिया गया है, जिसे उन्होंने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में दायर किया था। याचिका में आनंद ने सभी क्षतिग्रस्त मंदिरों की पहचान कर उनकी मरम्मत करने की मांग की थी। आनंद ने आरटीआई के माध्यम से 700 से अधिक मंदिरों की जानकारी इकट्ठा की है, जिनमें से 110 मंदिर आतंकी हमलों में क्षतिग्रस्त हुए थे। पिछले 30 सालों में जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के दौरान 110 मंदिरों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें से 94 कश्मीर और 16 जम्मू क्षेत्र में हैं। जानकारी के मुताबिक, इन मंदिरों में से 7 को आतंकियों ने नुकसान पहुंचाया है और इन मामलों में मुकदमे दर्ज हैं जिनकी जांच चल रही है। 8 मंदिरों में आग लगाई गई, 5 मंदिर बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए, और 73 मंदिर अन्य कारणों से प्रभावित हुए हैं। जम्मू संभाग में कुल 16 मंदिरों को निशाना बनाया गया है, जिनमें डोडा जिले के 14 मंदिर शामिल हैं।
ये घटनाएं 1992, 1993, 1995, 1996, 2001 और 2008 के बीच हुई थीं। कई मामलों में आतंकियों की पहचान नहीं होने के कारण मुकदमे बंद कर दिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार ने पहले भी सभी डिप्टी कमिश्नरों को मंदिरों की जमीन से अवैध कब्जा हटाने का आदेश दिया था। सितंबर 2022 में सामान्य प्रशासन विभाग ने जम्मू और कश्मीर संभाग के मंडलायुक्तों को आतंकियों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों के पुनर्निर्माण का निर्देश दिया था। अब इस नई समिति के गठन के साथ, मंदिरों की मरम्मत और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ने की उम्मीद है।
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