'मोनिका सेलेस' ये टेनिस की दुनिया का वो नाम था जो आज से 25 साल पहले टेनिस के हर प्रशंसक की जुबान पर रहा करता था. मोनिका सेलेस के जोरदार शॉट्स देख, हर कोई यही सोचता था कि एक दिन टेनिस के इतिहास मे इस खिलाड़ी का नाम सबसे ऊपर होगा. लेकिन 30 अप्रैल 1993 की दोपहर कुछ ऐसा हो गया जिसने मोनिका के चाँद जैसे करियर को अंधकार के गहरे कुवें में धकेल दिया. हैम्बर्ग में बुल्गारिया की मागदेलेना मलीवा के ख़िलाफ़ क्वार्टरफाइनल मुकाबला खेल रही मनिका को एक शख्स ने मैच के दौरान पीठ में चाकू घोंप दिया. मोनिका दर्द से चीख उठीं और उनके दर्द का गवाह बने करीब 6,000 दर्शक जो इस क्वार्टर फ़ाइनल मुकाबले को देखने पहुंचे थे.
सेलेस उस वक्त सिर्फ़ 19 साल की थी. हालांकि इस हमले में उन्हें ज्यादा गंभीर चोटें नहीं आईं, लेकिन फिर भी उनकी जंदगी फिर पहले जैसी नहीं हो पायीं. टूर्नामेंट के डॉक्टर पीटर विंड ने सेलेस के पहले मेडिकल सेशन के बाद कहा, "वो बेहद भाग्यशाली थी. उनके फेफड़ों और बाजुओं को कोई नुक़सान नहीं पहुँचा था, लेकिन उन्होंने कई रातें डॉक्टरों की निगरानी में गुजारीं." यह हमला जर्मनी के 39 साल के एक बेरोज़गार गुंटर पाख़ा ने किया था जिसको टूर्नामेंट के सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत पकड़ लिया था.
हैम्बर्ग की अदालत ने गुंटर को दो साल जेल की सज़ा सुनाई थी. सेलेस ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा था, "यह मेरे जीवन का सबसे कठिन लम्हा था क्योंकि मैं नंबर एक खिलाड़ी बनने वाली थी. मैं ख़ुद से पूछा करती थी कि मैं अपना अगला मैच कब खेलूंगी या मुझे कितनी प्रैक्टिस की ज़रूरत है. कुछ ही मिनटों में ये मुझसे दूर हो गया और अब मैं नहीं जानती कि मैं अब कब खेलूंगी."
आपको बता दें कि मोनिका एक समय ग्रैंडस्लेम जीतने वाली सबसे युवा खिलाड़ी थीं. उन्होंने 1990 में फ्रैंच ओपन जीता था. आपको जानकर हैरानी होगी कि तब उनकी उम्र महज 16 साल छह महीने थी. इसके बाद मार्च 1991 में उन्होंने ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता. वारदात वाली घटना के दिन तक उन्होंने आठ में से सात ग्रैंडस्लैम खिताब अपने नाम कर लिया था.
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