भारतीय उपमहाद्वीप में टाइटैनिक और अवतार जैसी फिल्मों का निर्दशन करके अपने करोड़ों प्रशंसक बनाने वाले मशहूर फिल्ममेकर जेम्स कैमरॉन की बतौर निर्माता नई फिल्म टर्मिनेटर डार्कफेट ऐसी मशीनों की बात करती हैं जिनके भीतर खुद सोचने समझने की शक्ति आ जाती है. आज के समय में ये बात भले चौंकाने वाली न लगती हो लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ये आइडिया कैमरॉन ने पहली बार आज से 35 साल पहले पहली टर्मिनेटर फिल्म में सोच लिया था. टर्मिनेटर डार्कफेट, टर्मिनेटर 1 और टर्मिनेटर 2 की सीक्वेल है और इस कहानी का एक नया समयकाल निर्धारित करती है. टर्मिनेटर डार्कफेट को मिल रही तारीफ के बाद इसकी सीक्वल की कहानी पर भी काम शुरू किया जा चुका है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि टर्मिनेटर डार्कफेट इस फ्रेंचाइजी की पहली दो फिल्मों के बाद बनी फिल्मों को पूरी तरह भुला चुकी है. टर्मिनेटर सीरीज के इस रीबूट वर्जन में जेम्स फिर से इंसानों और मशीनों के जज्बाती रिश्तों को सामने लेकर आए हैं. सूत्र बताते हैं कि ये फिल्म इस कहानी को अभी और आगे लेकर जाएगी. जेम्स कहते हैं, 'टर्मिनेटर डार्कफेट को बनाने का मेरा मकसद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंसानी रिश्तों को और विस्तार से जानने का प्रयास करना है.
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इसके अलावा उन्होने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि डार्क फेट में ये पूरी तरह संभव हो पाया है. हमने एक नया मंच इस फिल्म में तैयार किया है और इसके बाद आने वाली फिल्मों में ये विस्तार सही रूप से सेट हो पाएगा. ये फिल्म एक नई शुरूआत है जो ये बताती है कि इस तरह के टकराव आगे भी होते रहेंगे.'टर्मिनेटर सीरीज दरअसल जेम्स कैमरॉन ने इस विचार के साथ शुरू की थी कि मशीनों में अपने आप विकसित होने वाली समझ एक दिन इंसानों का सर्वनाश कर देगी. इन्हीं मशीनों में से टी 800 नाम की मशीन यानी अर्नाल्ड श्वार्जेनेगर का किरदार इंसानों की तरफ आ जाता है.
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