प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए भाई के कातिल की सजा को कम करते हुए रिहाई का आदेश जारी कर दिया है। बुलंदशहर के बीबीनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले धकोली गांव में भाई के क़त्ल के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे व्यक्ति (याची) की सजा को कम करते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा है कि तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनज़र यह लगता है कि याची ने अपने भाई को चोट पहुंचाने के इरादे से हमला किया था, न की उसकी हत्या करने के लिए। जिसके कारण अपराध को, धारा 302 के बजाय 304 के तहत माना गया है।
अदालत ने कहा कि याची को किसी अन्य मामले में हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है, तो उसे फ़ौरन रिहा कर दिया जाए। मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस साधना रानी (ठाकुर) की खंडपीठ ने मनोज कुमार शर्मा की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। मामले में 2009 उसके भाई विकास शर्मा ने 2009 में IPC की धारा 302 के तहत FIR दर्ज कराकर भाई राजीव शर्मा के क़त्ल का आरोप लगाया था।
इस मामले में सत्र न्यायालय बुलंदशहर ने याची को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। याची ने सेशन जज के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी। अदालत ने सुनवाई के बाद पाया कि याची का इरादा अपने भाई राजीव कुमार की हत्या करने का नहीं था। उसका इरादा सिर्फ शारीरिक चोट पहुंचाने का था। मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्ययालया ने रिहाई का आदेश दिया है।
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