नई दिल्ली: पाकिस्तान एवं उत्तर पश्चिम भारत से निकलने वाली खनिज धूल तथा बायोमास ने दिल्ली एवं अरब सागर इलाके जैसे प्रदूषित शहरों को प्रदूषित किया है। इसका दावा एक स्टडी में किया गया है। नैनीताल में आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज के विशेषज्ञों ने भारतीय तथा विदेशी सहयोगियों के साथ मिलकर मध्य हिमालयी इलाके में रासायनिक संरचना तथा कुल निलंबित कण (टीएसपी, जिसमें सभी एरोसोल एवं वायु प्रदूषण सम्मिलित हैं) के स्रोत विभाजन की स्टडी की।
वही एशियाई जलवायु में एक अनूठा किरदार होने के साथ हिमालयी इलाके को एक संवेदनशील वातावरण माना जाता है। बीते दशक के चलते पश्चिमी एवं मध्य हिमालयी इलाकों में कार्बनयुक्त एरोसोल और अकार्बनिक प्रजातियों के लिए कई रासायनिक प्रजाति अध्ययन किए गए हैं, जो भारतीय गांगेय इलाके के मैदानों से परिवहन किए गए एरोसोल भंडारों की अधिकता होने की तहरीर देते हैं।
हालांकि, मध्य भारतीय हिमालय में किसी एक ग्राही (रिसेप्टर) स्थान (रिसेप्टर मॉडल) पर वायु प्रदूषकों के स्रोतों की पहचान तथा मात्रा तय करने के लिए सांख्यिकीय तरीकों के अभाव के साथ-साथ प्राथमिक तथा माध्यमिक कार्बनिक कार्बन (पीओसी, एसओसी) अंशों के बारे में वांछित खबर में अंतर है। साथ ही अध्ययन में बताया गया कि खनिज धूल, जैव पदार्थों (बायोमास) का जलना, द्वितीयक सल्फेट तथा द्वितीयक नाइट्रेट उत्तर पश्चिम भारत और पाकिस्तान से दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर, थार रेगिस्तान एवं अरब सागर क्षेत्र तथा लंबी दूरी तक वायु संचरण में सक्षम समुद्री मिश्रित एरोसोल मध्य हिमालय में एरोसोल के प्रमुख स्रोत हैं।
भाजपा में शामिल हुए राम सिंह कैड़ा
कोरोना मुक्त होने की कगार पर भारत का ये प्रदेश, बीते 24 घंटों में मिले महज 2 केस
नवरात्र में धमाल मचाने आया शरद मल्होत्रा-हैली शाह का गाना 'हालो रे हालो'