धनबाद: इस साल के अंत में देश के कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. अगर विपक्ष की बात की जाए तो कांग्रेस समेत सभी छोटी-बड़ी पार्टियां एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करने के लिए मैदान में उतरने का मन बना चुकी है, लेकिन इस गठबंधन की संभावना झारखण्ड में सबसे ज्यादा दिखाई दे रही है. इस बात से भाजपा भी अच्छी तरह वाक़िफ़ है, इसी कारण भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 11 जुलाई को झारखण्ड के दौरे पर गए थे, जहाँ उन्होंने तमाम चुनावी समीकरणों की जानकारी ली.
अगर पिछले चुनाव की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में झारखण्ड पूरी तरह भाजपा के काबू में था, यहाँ की 14 सीटों में से भाजपा ने 12 पर अधिकार जमाया था और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के हिस्से मात्र 2 सीटें ही आई थी. विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बाज़ी मारी और दूसरे दलों से हाथ मिलाकर सरकार बना ली. हालाँकि अभी झारखण्ड में आसार कुछ बदले से नज़र आ रहे हैं.
आदिवासी पार्टी झामुमों ने राज्य में गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री का मुद्दा जोरों से उठाया है, साथ ही राज्य में हो रही मोब लीचिंग, भुखमरी आदि मुद्दों पर भी जनता का समर्थन बटोरा है. वहीँ इन सब का फायदा कांग्रेस उठा सकती है, कांग्रेस ने पहले भी ये जाहिर कर दिया है कि झारखण्ड में भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए वो झामुमो की जूनियर पार्टनर बनने को भी तैयार है. आपको बता दें कि झारखण्ड में भाजपा के खिलाफ राज्य की मुख्य पार्टियां कांग्रेस के हाथ मिलाकर भाजपा के लिए मुश्किलें कड़ी कर सकती हैं, जिनमे झामुमो, झाविमो और बसपा शामिल है.
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