भारत के दक्षिण भाग में बसा केरल का वार्षिक त्यौहार हैं त्रिचूरपूरम. त्रिचूर पूरम केरल में हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है, पुरम का अर्थ होता है महोत्सव और त्रिचूर शहर में मनाये जाने के कारण इस त्यौहार को त्रिचूर पुरम कहा जाता हैं. यह भव्य रंगीन मंदिर उत्सव केरल के सभी भाग से लोगों को आकर्षित करता है.
इसका आयोजन थेक्किनाडु मैदान पर्वत पर स्थित वडक्कुन्नाथन मंदिर में, नगर के बीचोंबीच आयोजित होता है जिससे यह पुरे केरल के आकर्षण का केंद्र बना रहता हैं. त्रिचूर के पास एक हजार फुट ऊंचे पर्वत शिखर पर भगवान शिव का विशाल मंदिर है. भगवान शिव के इस मंदिर को श्री शिव पेरूर कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस शहर का नाम कालांतर में जनता की टकसाल में श्री शिव पेरूर और फिर त्रिसूर और अंततः अंग्रेजी भाषा के प्रभाव में त्रिचूर हो गया.
यह त्यौहार मलयाली मेडम मास की पूरम तिथि को मनाया जाता है और इस त्यौहार की शुरुआत को लेकर बहुत सारी कथाएं और मिथक प्रचलित है. अधिकांश लोगों का मत है कि यह उत्सव पहले अराट्टपूड़ा पूरम के रूप में शुरू हुआ. एक वर्ष भारी वर्षा के कारण शोभा यात्रा त्रिचूर से अराट्टपूरड़ा नहीं जा सकी. अतः महोत्सव का आयोजन त्रिचूर में ही किया गया और तब से यह मनाया जाने लगा है.
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