श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के राजौरी में देश के शहीदों की याद में एक स्मारक, जिसे "बलिदान स्तंभ" कहा जाता है, अब बनकर तैयार हो चुका है और इसे 15 अगस्त को जनता के लिए खोला जाएगा। श्रीनगर नगर निगम के आयुक्त डॉ. ओवैस अहमद ने इस बात की जानकारी दी। यह स्मारक 1947 में पाकिस्तान द्वारा किए गए हमले की याद दिलाता है, जब सीमा पार से आए कबायली हमलावरों ने जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिश की थी। इस दौरान, उन्होंने महिलाओं पर अत्याचार किया और लगभग 30,000 लोगों को मार डाला।
डॉ. ओवैस अहमद ने बताया कि 15 अगस्त तक इस स्मारक को तैयार रखने का वादा किया गया था, जिसे पूरा कर लिया गया है। उन्होंने जनता से आग्रह किया कि वे इस स्थान पर आकर महान नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करें। इस स्मारक के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाएगा, और इसकी कुल लागत 4.8 करोड़ रुपये है। बलिदान स्तंभ की कहानी हमें 1947 के पाकिस्तान के नापाक इरादों की याद दिलाती है, जब भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद पाकिस्तान ने भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने की कोशिश की थी। 26 अक्टूबर 1947 को, जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने पाकिस्तान की इस नापाक कोशिश के खिलाफ भारत में विलय की घोषणा की। इसके अगले ही दिन, 27 अक्टूबर को, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने का असफल प्रयास किया।
राजौरी में कबायलियों के हमले के दौरान, कई निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया, और महिलाओं के साथ भयानक अत्याचार किए गए। इन घटनाओं की याद में, 1969 में पहली बार इस स्मारक का निर्माण किया गया था, जो अब नए रूप में तैयार है और 15 अगस्त से जनता के लिए खोल दिया जाएगा।