जल को जीवन का आधार माना गया है। जल के बिना जीवन अधूरा है। डॉक्टर भी स्वस्थ सेहत के लिए दिन में 4-6 लीटर पानी पीने की सलाह देते है। पानी शरीर में उपस्थित जहरीले तत्वों की सांद्रता को खुद में मिल कर मूत्र मार्ग से बाहर निकालने मे सहायता करता है। परन्तु वर्तमान समय में जल की शुद्धता पर भी संदेह करना लाजमी है। और किसी वस्तु को आप किस तरह से उपयोग में लेते है यह बहुत ज्यादा मायने रखता है। इसी में जल को किस बर्तन में पीना चाहिए यह भी ध्यान रखना जरूरी है। प्लास्टिक के पात्र में जल पीने से पात्र का प्लास्टिक जल में घूल कर अनेकों तरह के रोग पैदा करता है। भारत में प्राचीन काल से तांबे के बर्तनों का विशेष महत्व है। वेदों और पुराणों में भी तांबे के पत्रों का विशेष उल्लेख मिलता है।ऋषि मुनि भी भगवान को अर्ध्य देते समय तांबे के बरतनी का प्रयोग करते थे। अतः तांबे के बर्तनों में जल पीने के अनेकों लाभ है। इस लेख में हम आपको तांबे के बर्तनों से जल पीने के लाभों को बताएंगे।
तांबे के बर्तन में पानी पीने के लाभ
- तांबा एक विशेष धातु है जो जल में उपस्थित बेक्टीरिया, कवक, और फंगस को अवशोषित करता है। अधिकांश वाटर पयुरिफायर में तांबे की पट्टिका का पर्योग किया जाता है। जो जल में उपस्थित अशुद्धियों को खुद में समाहित कर दूर करता है। और जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है। प्राय पयुरिफायर अंदर लगी तांबे की पट्टिका की अवशोषण क्षमता को बढ़ा देते है। जीस तुरंत वह जल को शुद्ध कर देता है।
- तांबा एक सात्विक धातु है और और यह कई रोगों को जड़ से दूर करता है। तांबे में रखे जल को ताम्रजल कहा जाता है। तांबे के जल में 7-8 घंटे रखे जल का सेवन करना अधिक फायदे मंद रहता है। अतः पानी पीने के पात्र के साथ पानी रखने के लिए भी तांबे के पात्र का प्रयोग करना चाहिए।
तांबे पात्र में रखे पानी के प्रयोग से निम्न शरीरिक लाभ है
- स्किन से संबधित समस्या- ताबा जल की अशुद्धि को दूर करता है जीस से उस का प्रयोग करने से अनेकों तरह की शुद्धि शरीर में जाने से बचती है जिस से त्वचा ग्लोइंग होती है और स्किन संबधित रोग की आशंका नहीं रहती है। तांबे के पात्र में रखे जल से मुहँ भी धोया जा सकता है। इस से विभिन्न तरह के कॉस्टमेटिक पर होने वाला खर्च कम हो जाता है।
- पथरी से संबधित समस्या- प्राय पथरी की समस्या जल के साथ पेट में जाने वाली अशुद्धि के शरीर के अंदर इखट्टा होने से होती है। तांबा इन अशुद्धियों को अवशोषित करता है। और पथरी जैसी समस्या को दूर करता है।
- वजन के घटने में- तांबा के बर्तन में रखा जल वजन को घटाने में सहायक है। यह शरीर में बनने वाली अतिरिक्त चर्बी को काम करता है। जिस से वजन के अधिक न बढ़ने में सहायता मिलती है और कमजोरी भी नहीं आती है।
- एनीमिया रोग से छुटकारा– रक्त की कमी अक्सर पुरुषों की बजाय महिलाओं में अधिक देखने में मिलती है। ऐसे में शरीर में कॉपर को आवश्यकता होती जो तांबे के पात्र में रखा जल बखूबी पूरा करता है। यह खून की अशुद्धि को कम करता है और शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर करता है।
- दिल से संबधित बीमारी – वर्तमान में अधिकांश लोग काम और घर की समस्याओं को लेकर चिंता में रहते है। जिसके कारण रक्तचाप का संतुलन बिगड़ जाता है। और दिल से संबधित बीमारिया बढ़ती है। ऐसे में ताम्रजल आप को शांत रखता है और केलोस्ट्रॉल को काम करता है। जिस से दिल के संबंधी बीमारियों से निजात मिलती है।
- थायराइड रोग में फायदेमंद – थायरॉक्सिन हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड रोग होता है। इस रोग में रोगी का वजन या तो अधिक बढ़ जाता है या अधिक घट जाता है। डॉक्टर मानते है की कॉपर (तांबा) के स्पर्श वाला जल पीने से थायरॉक्सिन हार्मोन का स्त्राव नियंत्रित होता है और इस रोग से छुटकारा पाने में सहायता मिलती है। यह ग्रन्थि की कार्य प्रणाली को भी नियंत्रित करता है।
- गठिया रोग की समस्या – आज कर हर उम्र के लोगों में गठिया रोग और जोड़ों में दर्द अधिक देखने को मिलता है। इसके पीछे की मुख्य वजह है जल में फ्लोराइड की अधिकता। इस रोग की वजह से हमारी पूरी जीवन शैली अस्त-व्यस्त हो जाती है। ऐसे में तांबा बहुत ही गुणकारी साबित होता है जो जल में फ्लोराइड की मात्रा को काम करता है और हड्डियों को मजबूत करता है। जो की बुढ़ापे में एक सुखद जीवन जीने में सहायता करता है।
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