UPSC से सीधी भर्ती को लेकर राहुल के बयान पर केंद्र ने साधा निशाना, कह डाली ये बात

UPSC से सीधी भर्ती को लेकर राहुल के बयान पर केंद्र ने साधा निशाना, कह डाली ये बात
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राहुल गांधी द्वारा लेटरल एंट्री (सीधी भर्ती) को लेकर दिए गए बयान के बाद केंद्र सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राहुल गांधी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यूपीए सरकार ही वह सरकार थी जिसने सबसे पहले प्रशासनिक सुधार आयोग की शुरुआत की थी।

राहुल गांधी का आरोप

राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर आरोप लगाया था कि मोदी सरकार यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) से भर्ती करने के बजाय, आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से भर्ती कर रही है और इससे एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण का हक छीना जा रहा है। उनके इस बयान से राजनीति में हलचल मच गई, और इस पर भाजपा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी।

केंद्रीय मंत्री का पलटवार

अश्विनी वैष्णव ने राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि लेटरल एंट्री का विचार सबसे पहले यूपीए सरकार के कार्यकाल में ही आया था। उन्होंने कहा कि 2005 में यूपीए सरकार के दौरान ही प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया था, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने की थी। इस आयोग का उद्देश्य भारतीय प्रशासनिक प्रणाली को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और नागरिकों के अनुकूल बनाना था।

लेटरल एंट्री की सिफारिश

वैष्णव ने बताया कि प्रशासनिक सुधार आयोग की एक प्रमुख सिफारिश यह थी कि उच्च सरकारी पदों पर विशेषज्ञों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए लेटरल एंट्री शुरू की जाए। इसके तहत, उन पदों पर भर्ती की जानी चाहिए जिनके लिए विशेष ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है। एनडीए सरकार ने इस सिफारिश को लागू किया है और इसके तहत पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से यूपीएससी द्वारा भर्ती की जाती है, जिससे शासन में सुधार हो रहा है।

मोदी सरकार का कदम

लेटरल एंट्री योजना को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 2018 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य प्रशासनिक मशीनरी की दक्षता और जवाबदेही को बढ़ाना था। इस योजना के तहत, सरकार ने संयुक्त सचिवों और निदेशकों जैसे वरिष्ठ पदों के लिए रिक्तियों की घोषणा की। यह पहली बार था जब निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के पेशेवरों को इन उच्चस्तरीय पदों के लिए आवेदन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। चयन प्रक्रिया काफी सख्त थी, जिसमें उम्मीदवारों की योग्यता, अनुभव और इन रणनीतिक पदों के लिए उपयुक्तता का ध्यान रखा गया था।

कुल मिलाकर, राहुल गांधी के आरोपों पर केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि लेटरल एंट्री का विचार यूपीए सरकार के दौरान ही आया था और एनडीए सरकार ने इसे प्रभावी तरीके से लागू किया है, जिससे शासन में सुधार हो सके।

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