शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र की मोदी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की "स्पेशल असिस्टेंट टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट स्कीम" के तहत 23 राज्यों को 3296 करोड़ रुपये की सहायता दी गई, लेकिन हिमाचल प्रदेश को इस मदद से वंचित रखा गया। उन्होंने इसे हिमाचल के विकास को रोकने की कोशिश करार दिया।
सीएम सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार कथनी और करनी में अंतर रखती है और हिमाचल के प्रति उसका भेदभावपूर्ण रवैया अब सभी के सामने आ गया है। उन्होंने बीजेपी सांसदों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे लिस्ट जारी करके खुशियां मना रहे हैं, जबकि यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वे हिमाचल के लिए यह राशि सुनिश्चित करते। उन्होंने सवाल किया कि क्या ये सांसद वास्तव में हिमाचल के लोगों के प्रतिनिधि हैं। सुक्खू ने यह भी याद दिलाया कि जब राज्य प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा था, तब भी केंद्र सरकार ने कोई विशेष मदद नहीं की। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद राज्य ने टूरिज्म सेक्टर में नई उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के रवैये को संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण करार दिया और कहा कि हिमाचल की जनता इसे कभी नहीं भूलेगी।
इसके साथ ही, हिमाचल भवन की कुर्की का मामला भी चर्चा में है। दिल्ली के मंडी हाउस के पास स्थित हिमाचल भवन को 64 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने की वजह से हाई कोर्ट के आदेश पर अटैच करने की कार्रवाई शुरू की गई है। इस घटना ने हिमाचल की राजनीति में हलचल मचा दी है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया है और इसे राज्य की वित्तीय असफलता का नतीजा बताया है। सीएम सुक्खू ने इन आरोपों पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह मामला राज्य में तीखे राजनीतिक संघर्ष को और बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।
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