उत्तर प्रदेश का कासगंज सांप्रदायिक हिंसा से झुलस रहा हैं. पिछले तीन दिन में घटे घटनाक्रम ने देश के सामने इंसानियत को तारतार करती एक घिनौनी तस्वीर पेश की हैं. प्रदेश में कानून और व्यवथा के सारे दावे झूठे साबित हुए जब अंग्रेजो के राज्य में मजहबी एकता की मिसाल कहा जाने वाला कासगंज दरम के नाम पर फैलाई आग में जल उठा. गौरतलब हैं कि इस पूरी घटना में चंदन गुप्ता नामक एक युवक की जान चली गई हैं.
मगर इस सब से बेखबर सरकार और उनसे विधायक अपनी ही मस्ती में मस्त थे. इन विधायकों ने सारी हदें पार कर दी. कासगंज के इन हालात में भी से 25 किमी दूर एटा में विधायक और अधिकारी कैलाश खेर के गीतों का रसपान कर रहे थे. विधायक देवेंद्र वर्मा, देवेंद्र लोधी के अलावा एटा के डीएम, एसएसपी व फरुखाबाद के बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत, एटा मारहरा के विधायक वीरेंद्र वर्मा, रात भर आंनद कर रहे थे.
बहरहाल योगी सरकार ने हिंसा में मारे गए चंदन के परिवार वालों को 20 लाख रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया था. अब तक हिंसा फैलाने के मामले में 112 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें 7 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. वहीं, हिंसा में मारे गए चंदन पर हमले का मुख्य आरोपी शकील अब भी फरार है.
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