भोजपुरी से भी बुरा है मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का हाल, महिला आर्टिस्ट ने किया खुलासा

भोजपुरी से भी बुरा है मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का हाल, महिला आर्टिस्ट ने किया खुलासा
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मलयालम फिल्म इंडस्ट्री इन दिनों यौन शोषण के मामलों को लेकर ख़बरों में है। हाल ही में कई लोकप्रिय हस्तियों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिसमें मुकेश, सिद्दीकी, एवं जयसूर्या जैसे नाम सम्मिलित हैं। अब इसी क्रम में एक नई शिकायत अभिनेता बाबूराज के खिलाफ दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त, एक मेकअप आर्टिस्ट ने भी खुलासा किया है कि हिंदी, भोजपुरी एवं अन्य भाषाओं की फिल्मों में काम करने के बाढ़ भी उनका सबसे बुरा अनुभव मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के साथ रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाबूराज के खिलाफ मामला एक जूनियर आर्टिस्ट ने दर्ज कराया है। पीड़िता का आरोप है कि उसका शोषण 2019 में आदिमाली के रिजॉर्ट एवं अलुवा स्थित बाबूराज के घर में किया गया था। पुलिस ने उसकी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए बाबूराज के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज किया है। पीड़िता ने बताया कि वह बाबूराज के रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी तथा पहली बार बाबूराज से उसके जन्मदिन पर मिली थी। इसके बाद 2018 में अभिनेता ने उसे अपनी फिल्म "कोडासा" में छोटा सा रोल ऑफर किया था।

पीड़िता के मुताबिक, “2019 में बाबूराज ने मुझे अपनी नई फिल्म पर चर्चा के लिए अलुवा स्थित अपने घर बुलाया था। उन्होंने कहा कि निर्देशक, निर्माता एवं अभिनेता भी बातचीत के लिए आएँगे। किन्तु जब मैं वहाँ पहुँची तो वहाँ केवल बाबूराज और उनके पुरुष कर्मचारी थे। मैंने पूछा कि बाकी लोग कहाँ हैं तो उन्होंने मुझे ग्राउंड फ्लोर पर इंतजार करने को कहा। बाद में वह मुझे अपने कमरे में ले गए और अभद्र भाषा का उपयोग करते हुए मेरे साथ दुष्कर्म किया। उन्होंने मुझे अगले दिन ही बाहर जाने दिया। यह हमारी आखिरी मुलाकात थी। उन्होंने एक बार ब्लैक कॉफी के लिए पूछा, लेकिन मैंने उन्हें साफ मना कर दिया।” मलयालम फिल्म उद्योग में हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के पश्चात् हंगामा मचा हुआ है। कई अभिनेता, फिल्म डायरेक्टर एवं इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के खिलाफ केस दर्ज हो रहे हैं। 

पीड़िताओं ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में इस बारे में खुलासा नहीं किया क्योंकि वे नाम बहुत ऊँचे थे और उन्हें डर था कि कहीं लोग उन्हें गलत न समझें कि सब कुछ पब्लिसिटी के लिए हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, केवल एक हफ्ते में एसआईटी के पास 20 से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। पीड़िताएँ केवल शारीरिक शोषण ही नहीं बल्कि मानसिक शोषण की भी शिकायत कर रही हैं। हाल ही में एक मेकअप आर्टिस्ट ने मनोरमा की रिपोर्ट पर अपनी कहानी साझा की तथा  बताया कि कैसे मलयालम इंडस्ट्री में नाराजगी दिखाने के लिए कलाकारों पर काम थोपे जाते हैं। इस प्रकार का माहौल बनाया जाता है कि कोई भी काम न कर पाए।

मेकअप आर्टिस्ट एसोसिएशन की सदस्यता पाने वाली पहली महिला, मिट्टा एंटनी ने बताया, “मैंने हिंदी, तमिल, तेलुगु, भोजपुरी और मलयालम मिलाकर 40 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। लेकिन मेरा सबसे खराब अनुभव मलयालम इंडस्ट्री के साथ रहा है।”

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