बद से बदतर हो रही देश के पहले स्कूल की हालत

बद से बदतर हो रही देश के पहले स्कूल की हालत
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महिला अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली सावित्रीबाई फुले की आज बिरथ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 03 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित नायगांव नामक छोटे से गांव में ही हुआ था। सावित्रीबाई फुले इंडिया के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापिका भी रही।

जर्जर हालत में देश का पहला बालिका स्कूल: महिलाओं को सुशिक्षित बनाने के लिए वर्ष 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में उन्होंने देश के पहले बालिका स्कूल की स्थापना भी की है। ये स्कूल पुणे में है, लेकिन  इस ऐतिहासिक धरोहर की हालत बहुत बेकार है। पुराने पुणे शहर में भिड़ेवाड़ा में महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने 175 साल पहले महिला स्कूल शुरू भी कर दिए है, लेकिन बरसों से ये स्कूल बंद है और इसकी हालत देख लगता है कि किसी भी पल ये इमारत ढहने वाली है।

आजादी से पहले जब गिनी चुनी महिलाएं ही पढ़ाई कर सकती थी, उस जमाने में गरीब तबके की महिलाओं को पढ़ाकर सशक्त बनाने के मकसद से ये स्कूल स्थापित भी कर पाएंगे। इस स्कूल को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग भी उठी। लेकिन आज जिसकी हालत दयनीय है।

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